खगड़िया में जब डूबती है नाव, तो जलपुत्रों की आती है याद

डुब्बा जिला के नाम से प्रसिद्ध है खगड़िया। यहां प्रत्येक साल बाढ़ आती है। उमड़ते-घुमड़ते अथाह पानी में नाव दुर्घटना भी घटित होती है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 08:17 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 08:17 PM (IST)
खगड़िया में जब डूबती है नाव, तो जलपुत्रों की आती है याद
खगड़िया में जब डूबती है नाव, तो जलपुत्रों की आती है याद

खगड़िया। 'डुब्बा जिला' के नाम से प्रसिद्ध है खगड़िया। यहां प्रत्येक साल बाढ़ आती है। उमड़ते-घुमड़ते अथाह पानी में नाव दुर्घटना भी घटित होती है। कोसी-बागमती और गंगा की लहरों को कई बार नाव पार नहीं कर पाती है। 1987 की बाढ़ में यहां डूबने से 211 लोगों की जानें गई थी। यह रिकार्ड है। 2002-03 की बाढ़ में 47, 2004-05 में 39, 2007-08 की बाढ़ में 155 लोगों को जीवन से हाथ धोना पड़ा था। बड़ी-बड़ी नाव दुर्घटना भी घटी है। बीते वर्ष ही एनएच-31 के मानसी के पास बूढ़ी गंडक में नाव डूबने से लगभग एक दर्जन लोग काल के गाल में समा गए। वर्ष 2009 में अलौली प्रखंड के फुलतौड़ा में बागमती नदी में नाव डूबने से 69 लोगों की जानें गई थी। आठ का अभी तक अता-पता नहीं है। दुधैला में नाव दुर्घटना घटने पर 24 शवों को गंगा से बाहर निकाला था इन गोताखोरों ने

खैर, नाव दुर्घटना होती है। दुर्घटना बाद जब एसडीआरएफ टीम भी शव को नहीं खोज पाती है, तो यहां के जलपुत्रों की याद आती है। परबत्ता प्रखंड मत्स्यजीवी सहयोग समिति के मंत्री प्रभुदयाल सहनी ने गोताखोरों की एक ऐसी टीम तैयार कर रखी है, जो गहरे से गहरे पानी में उतरकर एक विशेष प्रकार की बंशी (हजरिया बंशी) से शवों को बाहर निकाल लेते हैं। एक हजरिया बंशी को तैयार करने में आठ से 10 हजार रुपये खर्च आते हैं। यह रेशम की डोरी से तैयार किया जाता है। शवों को पानी से बाहर निकालने का काम वे नि:शुल्क करते हैं। छठ के समय से ये गोताखोर विभिन्न गंगा घाटों पर तैनात रहते हैं, ताकि कोई डूबे नहीं।

वर्ष 2008 में जब दुधैला गंगा की उफनती उपधारा में नाव पलटी, तो इन जलपुत्रों ने ही जान जोखिम में डालकर 24 शव बाहर निकाला। 2017 में तेमथा-करारी गंगा में नाव पलटने बाद इन लोगों ने आधे दर्जन शवों को बाहर निकाला। प्रभुदयाल सहनी कहते हैं- हमलोगों का जीवन गंगा किनारे बीता है। आपद-विपद में सेवा कर मानव धर्म का पालन करते हैं। लेकिन, इन्हें तकलीफ है कि आज तक प्रशासन की ओर से इन लोगों को एक प्रशस्ति पत्र भी नहीं मिला है। सिहेंश्वर सहनी ने बताया कि, दुधैला में जब नाव डूबी, तो हमलोगों ने वहां पहुंच कर दो दर्जन शवों को एक-एक कर बाहर निकाला। वे कहते हैं-सरकार गोताखोरों को सरकारी नौकरी में प्रधानता दें। प्रभुदयाल सहनी की इस टीम में सिंहेश्वर सहनी, बंशीलाल सहनी, बिजो सहनी, मुकेश सहनी, घनश्याम सहनी, शेखर सहनी, मनोहर मंडल, सुनील सहनी आदि अग्रिम मोर्चे पर रहते हैं। कोट

खगड़िया में स्थानीय गोताखोरों की ऐसी टीम है, यह महत्वपूर्ण बात है। इस संबंध में जानकारी ली जा रही है। डीएम से भी बात करेंगे।

मदन सहनी, प्रभारी मंत्री खगड़िया जिला।

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