गोदाम प्रबंधक की गिरफ्तारी को लेकर होगा ईनाम घोषित
खगड़िया। गरीबों के बीच बांटने वाले अनाज हेराफेरी मामले में 10 सालों तक जांच चली। इस दौरान
खगड़िया। गरीबों के बीच बांटने वाले अनाज हेराफेरी मामले में 10 सालों तक जांच चली। इस दौरान कई एसपी बदले, आधे दर्जन से अधिक जांचकर्ता बदले गए। पुलिस की फाइल मोटी होती गई। कोर्ट द्वारा वारंट से लेकर कुर्की जब्ती वारंट तक जारी किया गया। कई बार देवघर समेत अन्य ठिकानों पर पुलिस की छापेमारी की गई, बावजूद पता नहीं चल पाया कि तीन करोड़ सत्तहतर लाख अनाज घोटाला के मुख्य आरोपित मुकुट मणि सरेवाल कहां हैं। पुलिस देवघर के ब्रह्मचारी पथ स्थित गोदाम प्रबंधक के घर पर दबिश दी, मगर वहां भी पुलिस को खाली हाथ वापस होना पडा। ना तो गोदाम प्रबंधक मुकुटमणि सरेवाल का अता- पता चल पाया और न ही उनकी संपत्ति की। अब तो पुलिस को यह भी पता नहीं है कि 10 साल पहले करोड़ों के अनाज घोटाला का आरोपित मुकुटमणि सरेवाल जिदा है अथवा मर गया।
संविदा पर बहाल गोदाम प्रबंधक को उस समय निगम मुख्यालय द्वारा दोषी मानते हुए बर्खास्त कर दिया गया। सरेवाल मूलरूप से बिहार राज्य वन विकास निगम के कर्मी थे। चित्रगुप्तनगर थाना में राज्य खाद्य निगम खगड़िया के तत्कालीन जिला प्रबंधक अबध किशोर प्रसाद द्वारा 29 सितंबर 11 को केस दर्ज कराया गया। जिसमें मुख्य आरोपित गोदाम प्रबंधक मुकुटमणि सरेवाल को बनाया गया। अब तक यह पता नहीं चल पाया कि उस समय के परिवहन अभिकर्ता अथवा अन्य कर्मी की गोलमाल में क्या भूमिका थी। पुलिस ने फरार गोदाम प्रबंधक तक पहुंचने को लेकर बैंक खाता की जानकारी को ले यूनियन बैंक खगड़िया में पड़ताल की। 10 सालों के खाता के बारे में बैंक अधिकारी ने पुलिस को बताया कि तीन फरवरी 2010 से दो अक्टूबर 2020 तक का ब्योरा अवलोकन से पता चला कि उक्त खाता का संचालन 17 जनवरी 2013 के बाद संचालित ही नहीं हुआ। बहरहाल 10 सालों से फरार गोदाम प्रबंधक पर फरारी रोल समर्पित करते हुए कोर्ट में आरोप पत्र समर्पित करने के आदेश दिए गए हैं। इसके बाद उसकी गिरफ्तारी को लेकर मुख्यालय से इनाम घोषित करने की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। कोट आरोपित गोदाम प्रबंधक को फरारी दिखाते हुए आरोप पत्र समर्पित करने के आदेश दिए गए हैं। फरारी रोल समर्पित करने को कहा गया है। पुलिस मुख्यालय से आरोपित पर इनाम घोषित करने की अनुशंसा की जाएगी। अमितेश कुमार, एसपी, खगड़िया