चिकित्सक नहीं रहने से मवेशियों का नहीं हो रहा इलाज, पशुपालक परेशान

खगड़िया। भीषण गर्मी में पशुपालकों की परेशानी बढ़ गई है। इन दिनों मवेशियों में गला फूलना मुंह फूलना गलघोटू और लंगड़िया बीमारी फैल रही है। खासकर दियारा क्षेत्र में इसका अधिक असर है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Jul 2021 11:59 PM (IST) Updated:Thu, 15 Jul 2021 11:59 PM (IST)
चिकित्सक नहीं रहने से मवेशियों का नहीं हो रहा इलाज, पशुपालक परेशान
चिकित्सक नहीं रहने से मवेशियों का नहीं हो रहा इलाज, पशुपालक परेशान

खगड़िया। भीषण गर्मी में पशुपालकों की परेशानी बढ़ गई है। इन दिनों मवेशियों में गला फूलना, मुंह फूलना, गलघोटू और लंगड़िया बीमारी फैल रही है। खासकर दियारा क्षेत्र में इसका अधिक असर है। लेकिन पशु अस्पतालों में न तो दवा है और न ही टीकाकरण की व्यवस्था। जिस कारण पशुपालकों में हाहाकार मचा हुआ है।

खजरैठा के पशुपालक श्रीकृष्ण सिंह, श्रीरामपुर ठुठी के नेपाली सिंह, कन्हैया चक के चंदन आदि ने इस ओर अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया है। इन लोगों का कहना है कि चिकित्सक को खोजने जाते हैं तो चिकित्सक नहीं मिलते है। स्थानिक कई पशु अस्पतालों में पशु चिकित्सक नहीं हैं। बताते चलें कि प्रखंड क्षेत्र में छह पशु चिकित्सालय, दो पशु उप स्वास्थ्य केंद्र संचालित करने के लिए मात्र दो डाक्टर है। इससे स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। मवेशियों की प्रखंड क्षेत्र में स्थिति प्रखंड क्षेत्र के 22 पंचायतों में 65 हजार दुधारू पशु, 51 हजार बकरी, 800 घोड़े, 1140 सुअर हैं। क्या है चिकित्सक की स्थिति यहां आधे दर्जन पशु चिकित्सालय हैं। जिसमें प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय परबत्ता, प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय डुमरिया बुजुर्ग, प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय सलारपुर, प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय मड़ैया, प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय भरतखंड, प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय बंदेहरा शामिल हैं। मड़ैया के चिकित्सक ही प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय परबत्ता को भी देखते हैं। जबकि बंदेहरा के पशु चिकित्सक प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय भरतखंड को भी देखते हैं। वहीं शेष बचे पशु चिकित्सालयों में गोगरी के पशु चिकित्सक इलाज करते हैं।

इस संबंध में भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी ने कहा की

अभी बुखार आना, पाचन ठीक से नहीं होना, इस तरह की बीमारी की सूचना है। टीकाकरण की व्यवस्था को लेकर ऊपर जानकारी दी गई है।

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