12 वर्ष बाद भी सता रही कुसहा की त्रासदी

खगड़िया। वर्ष 2008 में जब भारत-नेपाल सीमा पर सुपौल जिले के पास कुसहा में कोसी तटबंध टूटा था

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 10:35 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 10:35 PM (IST)
12 वर्ष बाद भी सता रही कुसहा की त्रासदी
12 वर्ष बाद भी सता रही कुसहा की त्रासदी

खगड़िया। वर्ष 2008 में जब भारत-नेपाल सीमा पर सुपौल जिले के पास कुसहा में कोसी तटबंध टूटा था तो उसका पानी खगड़िया जिले के बेलदौर प्रखंड तक पहुंचा था। कुसहा के पानी से जानमाल को भारी क्षति पहुंची थी। पीरनगरा- भोला दास बासा सड़क को कुसहा की बाढ़ ने तहस -नहस कर डाला था। सड़क पर दो विशाल कुंड बन गए थे। वह आज भी यथावत हैं। बाढ़-बरसात के मौसम में यह कुंड लबालब भर जाता है और हजारों लोगों को आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क पथ योजना से 2015 में ढाई किलोमीटर लंबी पीरनगरा- भोलादास बासा सड़क निर्माण कार्य संपन्न हुआ। लेकिन कुसहा त्रासदी से सड़क पर बने दो कुंडों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया। ऐसे में पोषक क्षेत्र के लोगों को सड़क का लाभ नहीं मिल रहा है। सड़क बन जाने के दो वर्ष बाद ग्रामीण कार्य विभाग कार्य प्रमंडल गोगरी द्वारा कुंड पर उच्चस्तरीय आरसीसी पुल बनाए जाने को लेकर प्रस्ताव भेजा गया। लेकिन इस बीच एक सूचना अधिकार कार्यकर्ता ने आवेदन देकर यह सवाल उठाया कि सड़क पर बने कुंड में पुल बनाए बिना कैसे सड़क बना दी गई। इसके बाद निगरानी जांच बैठ गई। और पुल का निर्माण कार्य टल गया। निगरानी जांच के इंतजार में पुल निर्माण कार्य में पेंच फंस गया है। ऐसे में कब तक निगरानी विभाग जांच करेगी और कब पुल निर्माण होगा, यक्ष प्रश्न बना हुआ है। ग्रामीणों को दो किलोमीटर दूर एनएच 107 पीरनगरा तक पहुंचने के लिए अतिरिक्त 20 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है।

ग्रामीण कार्य विभाग कार्य प्रमंडल गोगरी के जेई साकेत कुमार ने कहा कि कुंड पर पुल बनाने को ले दो वर्ष पूर्व ही विभाग के पास प्रस्ताव भेजा गया था। इस बीच निगरानी की जांच बैठ गई। जिसके कारण पुल निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका।

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