'पर्वत की रानी अमृता' दूसरों की मदद को रहती हैं आगे

खगड़िया। जिले की बेटियां जहां खेल और पढ़ाई के क्षेत्र में परचम लहरा रही है वहीं समाज

By JagranEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 12:22 AM (IST) Updated:Mon, 11 Oct 2021 12:22 AM (IST)
'पर्वत की रानी अमृता' दूसरों की मदद को रहती हैं आगे
'पर्वत की रानी अमृता' दूसरों की मदद को रहती हैं आगे

खगड़िया। जिले की बेटियां जहां खेल और पढ़ाई के क्षेत्र में परचम लहरा रही है, वहीं समाज सेवा के क्षेत्र में भी किसी से पीछे नहीं है। जिला मुख्यालय स्थित हाजीपुर वार्ड संख्या 12 की रहने वाली गृह रक्षा वाहिनी के गोविद साव की पुत्री अमृता कुमारी को समाज सेवा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जागरूकता फैलाने के लिए बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे द्वारा 2018 में सम्मानित किया जा चुका है। अमृता कबड्डी खिलाड़ी भी रही है। लेकिन गंभीर बीमारी के कारण लगातार पीएमसीएच इलाज कराने जाना पड़ता था। जहां वह अपना इलाज तो कराती ही थी, साथ ही अस्पताल में आए मरीजों की देखरेख में पूरा समय व्यतीत करती थी। अमृता बताती है कि 2011 में ट्यूमर से ग्रसित हो गई। जिसके बाद पीएमसीएच लगातार जाना पड़ता है। अभी भी वह अपने इलाज के लिए वहां जाती हैं। वह बताती है कि जब तक वह पीएमसीएच में इलाज के लिए रहती हैं, वहां आए रोगियों को इलाज कराने में हर संभव मदद करती है। पहली बार जब वह इलाज कराने गई थी, तो वहां दूर-दूर से आए मरीजों को लगा कि वह अस्पताल की कर्मी है। लोग उनसे मदद मांगने लगे और वह लगातार लोगों की सहायता में लगी रही। अमृता अभाविप की सदस्य रह चुकी हैं। वर्तमान में दुर्गा वाहिनी की जिला संयोजिका है। उनके द्वारा मरीजों की सहायता करने की सूचना स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे को मिली। जिसकी बाद अमृता के कार्य से प्रभावित होकर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे द्वारा पटना बुलाकर सम्मानित किया गया। दो हजार पौधे लगा चुकी हैं 25 वर्षीय अमृता बचपन से ही नाना सरयुग साव और माता रुक्मिणी देवी के नक्शे कदम पर चलते हुए समाज को अपना घर- आंगन बना चुकी अमृता पौधारोपण में भी अब्बल भूमिका निभा रही है।

अमृता बताती है कि वह 10 वर्ष की उम्र से ही पौधारोपण करती आ रही है और अब तक अपने हाथों से दो हजार से अधिक पौधे लगा चुकी हैं। वह बताती है कि दुर्लभ पौधे लगाने में दिलचस्पी है। जैसे सिदूर के पौधे, चेरी के पौधे वृक्ष आदि। जिले में पर्वत की रानी से अमृता की है पहचान

अमृता 17 वर्ष की उम्र में राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित एडवेंचर में 2014 में राजगीर की रत्नागिरी पहाड़ पर चढ़कर प्रथम स्थान प्राप्त की थी। इसके बाद जिले में लोग इन्हें पर्वत की रानी के नाम से जानने लगे। इस प्रतियोगिता में अमृता ने रस्सी के माध्यम से रत्नागिरी पहाड़ की दूरी तय की थी। जिसके लिए अमृता को प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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