न ठौर, न ठिकाना, दिन गिनते है जाना
खगड़िया बाढ़ और कटाव खगड़िया की नियति बन चुकी है। जिले में विस्थापितों की एक बड़ी आ
खगड़िया : बाढ़ और कटाव खगड़िया की नियति बन चुकी है। जिले में विस्थापितों की एक बड़ी आबादी निवास करती है। ये बांध-तटबंधों पर, सड़कों, नदियों किनारे, भू-पतियों से जमीन लीज लेकर जैसै-तैसे गुजर-बसर करने को विवश हैं। बाढ़ और कटाव के कारण ये 'किनारे के लोग' बनकर रह गए हैं। अपनी जमीन, अपना घर हसीन सपने जैसा खगड़िया जिले में 148 किलोमीटर की लंबाई में बांध-तटबंध हैं। इन बांधों-तटबंधों पर जगह-जगह गांव-टोले बसे हुए हैं। ये लोग नदियों के कटाव से विस्थापित हुए लोग हैं। कई-कई लोग 50 साल से बुनियादी सुविधाओं से दूर बांध-तटबंधों पर नारकीय जिदगी जीने को विवश हैं। इनके लिए अपना घर, अपना मकान, अपनी जमीन, अपनी जोत सपना ही है। वे शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित हैं। '46 साल हो गए बांध पर ही हूं,
अब तो अर्थी भी यहां से ही निकलेगी' तेलिहार जमींदारी बांध के कामाथान के पास 25 वर्षों से रह रहे रामचरित सदा कहते हैं- लगता है कि यहां पर ही कफन दफन होगा। 28 वर्षीय विकास चौधरी कहते हैं- पहले ठाकुरबासा में अपना घर था। कोसी मैय्या ने उजाड़ दिया, तो पांच साल से जमींदारी बांध पर झोपड़ी बनाकर रह रहा हूं। अधिकारी वर्षों से कहते आ रहे हैं कि पुनर्वास के लिए जमीन देख रहे हैं। मुनि टोला, पचाठ के विमल मुनि कहते हैं- नदी में घर समा गया। 15 वर्षों से सड़क किनारे झोपड़ी में जिदगी कट रही है। उपेंद्र मुनि कहते हैं- 10 वर्षों से कोसी किनारे झोपड़ी बनाकर रह रहा हूं। बाढ़-बरसात के मौसम में डर लगता है। कब यह झोपड़ी भी नदी में समा जाएगी, कहना मुश्किल है। वकील शर्मा की उम्र 80 साल है। 1975 में गंगा की कटाव से विस्थापित होकर तेमथा रिटायर्ड बांध पर आकर बस गए। वकील शर्मा कहते हैं- उस समय लगा था, जल्द ही सरकार पुनर्वास दे देगी, लेकिन 46 साल हो गए बांध पर ही हूं। अब तो अर्थी भी यहां से ही निकलेगी। लक्ष्मी शर्मा 21 वर्ष की उम्र में तेमथा रिटायर्ड बांध पर आकर बसे थे, अब 67 साल के हो गए हैं। कहते हैं, तबसे आज तक गंगा होकर न जाने कितना पानी बह गया, लेकिन पुनर्वास नहीं मिला। हां, आश्वासन खूब मिले। जवानी में आए थे अब बूढ़ा हो चला हूं।
कोट बाढ़-कटाव से विस्थापित ऐसे लोग जिनको अपनी जमीन नहीं है, उन्हें भूमि खरीद कर पुनर्वासित करने का प्रावधान है। विस्थापितों के लिए भू-अर्जन की प्रक्रिया चल रही है।
-टेश लाल सिंह, प्रभारी पदाधिकारी, आपदा प्रबंधन, खगड़िया