खगड़िया में नहीं हुई सीएसआर की फंडिग

खगड़िया। नागरिकों के जीवन-स्तर को सुधारने और सभी के लिए समावेशी विकास सुनिश्चित करने के

By JagranEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 12:25 AM (IST) Updated:Fri, 25 Sep 2020 12:25 AM (IST)
खगड़िया में नहीं हुई सीएसआर की फंडिग
खगड़िया में नहीं हुई सीएसआर की फंडिग

खगड़िया। नागरिकों के जीवन-स्तर को सुधारने और सभी के लिए समावेशी विकास सुनिश्चित करने के साथ पिछड़ेपन को दूर करने के लिए सरकारी स्तर पर चलाए जा रहे आकांक्षी जिला योजना में देश के 115 जिलों में खगड़िया भी शामिल है। यह योजना दिसंबर 2018 में आरंभ की गई। अभी 2020 का सितंबर महीना चल रहा है। आकांक्षी जिले खगड़िया को सीएसआर या सीपीएसई के तहत अब तक कोई फंड प्राप्त नहीं हुआ है। जिले को अब तक पीएयू से टैग भी नहीं किया जा सका है। हां, आकांक्षी जिला कार्य योजना को लेकर प्रस्ताव अवश्य मांगा गया है। डीएम आलोक रंजन घोष ने कहा है कि प्रस्ताव भेजा जा रहा है। वैसे योजना के तहत जिले का सर्वे और डेल्टा रैंकिग अवश्य हो रहा है। जिसमें जिले का प्रदर्शन अच्छा रहा है। बाढ़ आर्थिक पिछड़ेपन का मुख्य कारण

खगड़िया जिला एक पिछड़ा जिला है। परंतु प्रकृति ने यहां कृषि और उससे जुड़े अपार संसाधन दिए हैं। इसे 'नदियों का नैहर' भी कहा जाता है। परंतु जल संसाधन की प्रचुरता का अब तक सही उपयोग नहीं हुआ है। नदियां यहां वरदान नहीं विनाश का कारण बनती रही है। हर वर्ष आने वाली बाढ़ जिले के पिछड़ेपन का महत्वपूर्ण कारण है। बाढ़ संसाधन और आधारभूत संरचना को तहस नहस कर डालती है। इसे आंकड़े में इस प्रकार समझा जा सकता है : वर्ष 1987 की बाढ़ में 54 हजार तीन सौ 55 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई। कुल 14 हजार 332 घर नष्ट हुए। वर्ष 2000-2001 की बाढ़ में 8761.35 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई। 688 मकान क्षतिग्रस्त हुए। वर्ष 2007-08 की बाढ़ में 50,120 हेक्टेयर में लगी फसल की क्षति हुई। 36,720 मकान नष्ट हुए। जिले का पिछड़ापन

खगड़िया बाढ़ प्रभावित जिला है। दो शहरी क्षेत्र सहित 129 पंचायतें हैं। कुल गांव 306 है। यहां की कुल आबादी 16 लाख 66 हजार 886 है। जिसमें पुरुष आठ लाख 83 हजार 786 और महिला सात लाख 83 हजार 100 है। यहां के 70-80 प्रतिशत लोग कृषि और पशुपालन पर निर्भर है। बाढ़ प्रवण क्षेत्र होने, दुर्गम भूगोल के कारण यहां बाढ़- कटाव के साथ कई प्रकार की समस्याओं से लोग जूझते रहे हैं। जिस कारण लोगों का जीवनस्तर सामाजिक और आर्थिक तौर ऊपर नहीं उठ सका है। वहीं शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क सहित अन्य कई मामलों में आज भी यहां के ग्रामीण क्षेत्र पिछड़े हैं। जिसे दूर करने को लेकर इसे आकांक्षी जिले में शामिल किया गया है। क्या है आकांक्षी जिला योजना

इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश के सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े जिलों की पहचान कर उनके समग्र विकास में सहायता करना है। राज्य इस कार्यक्रम के प्रमुख संचालक हैं और केंद्र सरकार की ओर से नीति आयोग द्वारा इसका संचालन किया जा रहा है। इसके अलावा कई मंत्रालय भी योजना के कार्यान्वयन में योगदान दे रहे हैं। जिलों को प्रतिस्पर्धी और सहयोगपूर्ण संघवाद की भावना से एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करते और दूसरों से सीखते हुए समग्र विकास की ओर ले जाना है। पहले अपने राज्य के सर्वश्रेष्ठ जिले की बराबरी करने और तत्पश्चात देश का सर्वश्रेष्ठ जिला बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसके तहत मुख्य रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, कृषि सहित अन्य कार्य हैं। इंसेट

डेल्टा रैकिग में जिले का रहा है बेहतर प्रदर्शन

आकांक्षी जिलों की डेल्टा रैंकिग में खगड़िया का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। नीति आयोग द्वारा फरवरी-जून 2020 में आकांक्षी जिलों की रैंकिग में खगड़िया ने विभिन्न मानकों पर अच्छा प्रदर्शन करते हुए शीर्ष स्थान हासिल किया था। नीति आयोग ने स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, कौशल विकास, कृषि, जल संसाधन, वित्तीय समावेशन और बुनियादी आधारभूत संरचना को लेकर सर्वे किया था। जिसके रैंकिग में खगड़िया जिले को देश में प्रथम स्थान मिला था। जुलाई में हुए रैंकिग में शिक्षा क्षेत्र में 40.7 अंक के साथ सातवें स्थान पर है। आधारभूत संरचना में 70.2 अंक के साथ 51वें स्थान पर, आर्थिक सामाजिक विकास में 27.6 अंक के साथ 76 वें स्थान पर, कृषि मौसम में 23.68 अंक के साथ 77 वां स्थान और स्वास्थ्य व पोषण क्षेत्र में 63.1 अंक के साथ 85 वां स्थान पर है। जबकि डेल्टा रैंकिग में 94 वां अंक है। कोट

खगड़िया आकांक्षी जिले में शामिल है लेकिन अब तक कोई फंडिग नहीं हुई है। इसके लिए प्रस्ताव की मांग की गई है। कार्य योजना बनाकर दिया जा रहा है। वैसे आकांक्षी जिला कार्य योजना के तहत कार्य किए जा रहे हैं। जिसका सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहा है। संबंधित बिदुओं पर डेल्टा रैंकिग में जिला आगे बढ़ रहा है।

आलोक रंजन घोष, डीएम। ''बाढ़ का सिलसिला कमोवेश हर साल जारी है। यहां पर्याप्त मात्रा में जल संसाधन है। मानव श्रम शक्ति अपार है, इसके पूर्ण उपयोग के अभाव में यहां के लोग गरीबी का दंश झेल रहे हैं। ''

डॉ. अनिल ठाकुर, अर्थशास्त्री

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