मनुष्य के बेहतर स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है मशरूम का सेवन
कटिहार। जिला कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण की ओर से पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन प्राणपुर प्रखंड के केवाला पंचायत में मशरूम उत्पादन सह प्रबंधन बिषय पर आयोजित की गयी।
कटिहार। जिला कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण की ओर से पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन प्राणपुर प्रखंड के केवाला पंचायत में मशरूम उत्पादन सह प्रबंधन बिषय पर आयोजित की गयी। इस प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ आत्मा के परियोजना निदेशक जितेन्द्र कुमार, जिला परिषद प्रतिनिधि लडडु सिंह ,उप परियोजना निदेशक एस के झा ने संयुक्त रूप से किया। किसानों को संबोधित करते हुए आत्मा के परियोजना निदेशक ने बताया कि मशरूम की खेती में लागत कम आने के साथ इसका बाजार भाव काफी ज्यादा रहने के कारण किसानों को फायदा होगा। बताया की खेत खलिहान में जो भी भूसा सड़ गल जाता है, उसे प्रबंधन कर मशरूम की खेती के लिए तैयार करें। 20-25 दिनों के पश्चात मशरूम निकलना शुरू हो जाता है। इसमें पौष्टिक तत्व व अमीनों अम्ल, प्रोटीन बहुतायत मात्रा में पाए जाने के बाद भी मशरूम में बहुतायत मात्रा में कई तरह के औषधि तत्व पाये जाते हैं।
आत्मा के उप परियोजना निदेशक एस के झा ने बताया कि प्राय: वर्षा ऋतु में आस-पास छतरीनुमा आकार का विभिन्न प्रकार के रंगों में पौधे जैसी संरचना या आकृतियां दिखाई देती है। यह एक प्रकार का फफुंद है, जिसे खुम्भ या मशरूम कहा जाता है। जिसका प्रयोग आदि काल में हमारे पूर्वज खाने या रोग की रोकथाम के लिए करते थे। खासकर जंगलों के आस-पास रहने वाले आदिवासी समाज के लोग इसका सेवन कर स्वस्थ व निरोग रहते थे। प्रखंड कृषि पदाधिकारी अमरनाथ कुंदन ने बताया कि 14-15 हजार प्रकार के मशरूम पाए जाते हैं। जंगलों या आस पास पाये जाने वाले सभी प्रकार के मशरूम खाने योग्य नहीं होते हैं। बिना जानकारी के मशरूम नहीं खाना चाहिए। क्योंकि कुछ मशरूम जहरीले भी होते हैं। देश में चार प्रकार के मशरूम बटन मशरूम, ढीगरी मशरूम, दूध छत्ता मिल्की मशरूम तथा धान या पुआल मशरूम होता है। इन मशरूम की खेती तापमान व नमी को ध्यान में रखकर की जाती है। मशरूम शुद्ध शाकाहारी होने के साथ कई बीमारी के लिए फायदेमंद होती है। दुनिया में लगभग आठ लाख टन प्रतिवर्ष मशरूम का उत्पादन होता है। प्रखंड तकनीकी प्रबंधक गोविद कुमार ने बताया कि मशरूम की खेती के लिए बैग तथा कमरे का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से बढ़ने लगे तो कमरों की दीवारों तथा छत पर पानी का छिड़काव दो से तीन बार करने या कुलर चला देना चाहिए। 15 से 25 दिनों में मशरूम का कवक जाल सारे भूसे पर फैल जाएगा तथा बैग सफेद नजर आने लगेगा। इसके आलावा इस खेती के बारें मे कई जानकारी किसानों की दी गयी। इस मौके पर एफएसी अध्यक्ष सूर्यदेव साह, सहायक तकनीकी अमरदीप कुमार सहित किसान सलाहकार व कृषि समन्वयक मौजूद थे।