एहसान कासमी की शायरी में दिखता है समाज के विभिन्न रंगों की झलक

कटिहार। उर्दू के विकास में मीडिया की भूमिका पर स्थानीय डीएस कॉलेज में सेमिनार का आयोजन

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 10:07 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 10:07 PM (IST)
एहसान कासमी की शायरी में दिखता
है समाज के विभिन्न रंगों की झलक
एहसान कासमी की शायरी में दिखता है समाज के विभिन्न रंगों की झलक

कटिहार। उर्दू के विकास में मीडिया की भूमिका पर स्थानीय डीएस कॉलेज में सेमिनार का आयोजन किया गया। इस मौके पर मिशन ऑफ ह्यूमन डेवलेपमेंट द्वारा दो पुस्तकों का विमोचन किया गया। एक किताब प्रख्यात शायर एवं साहित्यकार एहसान क़ासमी का प्रथम कविता संग्रह, दश्त-ए-जुनूँ तलब है। और दूसरी किताब स्व. सिकंदर अहमद की लिखित तंक़ीदी •ाविए है। सिकंदर साहब की पत्नी ग•ाला सिकंदर ने उनके लेखों का संकलन किया है। डीएस कॉलेज के उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ. अनवर इरज ने कहा कि एहसान कासमी की शायरी में अनुभवों और जीवन की घटनाओं को रचनात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसमें समाज के विभिन्न रंग झलकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि बैंक की नौकरी के दौरान साहित्यिक कार्यों के लिए समय निकालना और समालोचना के साथ-साथ शायरी करना, कोई आसान काम नहीं था। लेकिन एहसान क़ासमी के साहित्य प्रेम से ऐसा करने में कामयाब रहे। यही कारण है। उनकी शायरी की कड़ियां सामाजिक सरोकारों से जुड़ी हुई हैं। इस कविता संग्रह के अतिरिक्त एहसान क़ासमी की लघु कथा संग्रह पेपर वेट और समालोचला पर आधारित पुस्तक सीमांचल में उर्दू अफ़साना निगारी छपकर आ चुकी है। उर्द के विकास में मीडिया की भूमिका पर भी उन्होंने विस्तृत चर्चा की।

दूसरी पुस्तक नए तंक़ीदी •ाविए समालोचना एवं अनुसंधान पर आधारित है। स्व. सिकंदर अहमद की पत्नी ग़•ाला सिकंदर उनके लेखों को एकत्र कर प्रकाशित किया है, जो उन्हें श्रद्धांजलि है। इस किताब में कुछ ऐसे लेख हैं, जो समालोचना से संबंध रखते हैं और कुछ का संबंध अनुसंधान से है। यह संग्रह साहित्य से दिलचस्पी रखने वालों के लिए एक अनमोल उपहार है। इस मौके पर एमएलसी अशोक अग्रवाल, पूर्व शिक्षा मंत्री डा. रामप्रकाश महतो, डीएस कॉलेज के प्राचार्य सीबीएल दास सहित अन्य लोग मौजूद थे।

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