20 हेक्टेयर भूमि में होगी सबौर अर्धजल प्रजाति के धान की खेती
कटिहार। भागलपुर के सबौर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा ईजाद की गई नई किस्म सबौर अर्धजल प्रजाति क
कटिहार। भागलपुर के सबौर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा ईजाद की गई नई किस्म सबौर अर्धजल प्रजाति की धान की खेती अब जिले में 20 हेक्टेयर भूमि में की जाएगी। इसको लेकर कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा हर संभव तैयारी की जा रही है।
बताया जाता है कि धान के इस किस्म के उत्पादन पर सूखे और बाढ़ का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा बल्कि 120 दिनों में तैयार होने वाली धान की यह नई किस्म बाढ़ प्रभावित जिलों के किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी। विशेषकर मानसून में देरी एवं कम वर्षापात में भी इसकी खेती कारगर साबित होगी। ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा चयनित किसानों को अर्धजल प्रभेद का धान बीज उपलब्ध कराया जाएगा।
कम लागत में होगी बेहतर उपज
बाढ़ और सुखाड़ के मद्देनजर क्षेत्र के किसानों के लिए सबौर अर्धजल प्रभेद का धान वरदान साबित होगा। कम समय में तैयार होने वाले धान की इस नई किस्म की उत्पादन क्षमता भी सामान्य धान की अपेक्षा एक हेक्टेयर में 50 क्विंटल तक होगी।
विशेषज्ञों की मानें तो कम समय में फसल तैयार होने से मक्का सहित अन्य फसलों की खेती भी किसान समय पूर्व करके अधिक आमदनी प्राप्त कर सकेंगे। वहीं अर्धजल धान की खेती में प्रति हेक्टेयर 22 हजार रुपये तक की लागत आएगी तथा तैयार धान महीन और स्वास्थ्य के लिए गुणकारी होगा।
खेती के बारे में किसानों को दी जा रही है जानकारी :
केवीके के कृषि विज्ञानियों द्वारा किसानों को धान के इस नए प्रभेद की जानकारी दी जा रही है। कोई भी किसान अपने जरूरत के अनुसार सबौर कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क स्थापित कर 35 रुपये प्रतिकिलो की दर पर अर्धजल किस्म के धान का बीज प्राप्त कर सकते हैं।