रमजान में फितरा और जकात का भी महत्व : मौलाना सद्दाम हुसैन
कटिहार। इस्लाम धर्म के लोगों के लिए रमजान का महीना बहुत पाक माना जाता है। यह बात हम सभी ज
कटिहार। इस्लाम धर्म के लोगों के लिए रमजान का महीना बहुत पाक माना जाता है। यह बात हम सभी जानते है, लेकिन इनदिनों रोजा रखने के साथ जकात और फितरा को भी बहुत जरूरी माना जाता है। जकात का अर्थ दान होता है। जकात इस्लाम धर्म के पांच स्तंभों में से एक है। इसकी विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए लाभा जामा मस्जिद के मौलाना मु. सद्दाम हुसैन ने बताया कि रमजान के महीने में जकात और फितरा का बहुत बड़ा महत्व है।
जकात क्या है :
इस्लाम धर्म के अनुसार किसी भी मुस्लिम व्यक्ति के पास जितनी कुल संपत्ति, धन है जो दूसरों को मदद करने में सक्षम हो, वह अपने धन का कुछ हिस्सा दान कर सकते हैं। इसे नेकी माना जाता है। रमजान के पाक महीने में हर हैसियतमंद मुसलमानों के लिए जकात देना जरूरी होता है। जकात पूरे साल में जो बचत होती है, उसका 2.5 प्रतिशत जकात में देना जरूरी होता है। रमजान के महीने में इसका महत्व दोगुना बढ़ जाता है। कोई गरीब परिवार के बच्चे ईद के दिन नए कपड़ों के लिए नही तरसे, इस उद्देश्य से भी जकात दिया जाता है।
क्या है फितरा
खाने - पीने की समान से जुड़े दान को फितरा कहा जाता है। जैसे जकात में अपने धन का कुछ हिस्सा दान किया जाता है। वैसे फितरा में खाने - पीने की चीजें दान की जाती है। ईद के नमाज से पहले जकात व फितरा अदा करना जरूरी माना जाता है। ईद के दिन कोई जरूरत मंद व्यक्ति खाली हाथ न रह पाए। समाज में समानता का अधिकार देने एवं इंसानियत के लिए फितरा हर मुसलमानों के लिए फर्ज है। मौलाना ने कहा कि अल्लाह से इस कोरोना महामारी से दुआ मांगी जा रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए लोग अपने घरों में इबादत व नमाज अदा करें।