एक के बदले 70 नेकी का मिलेगा शबाब : हाफिज आशिक इलाही
कटिहार। रमजान वह महीना है जो हमें यह एहसास दिलाता है किएक गरीब के पास खाने को कुछ
कटिहार। रमजान वह महीना है जो हमें यह एहसास दिलाता है किएक गरीब के पास खाने को कुछ नहीं होता है तो वह कैसे भूखे रहते हैं। तब हमें खुदा का वह हुक्म याद आता है के तुम जमीन वालों पर रहम करो.. हम तुम पर रहम करेंगे.. इसलिए हमें चाहिए के हम गरीबों पर अपना माल खर्च करें। माह-ए-रमजान का महीना इबादत का महीना है। मुसलमान के लिए रमजान का महीना सभी महीनों से अफजल और बरकत का महीना है। इस महीने में अल्लाह गुनाहों के दरवाजे बंद कर देते हैं। उक्त बातें फलका बस्ती के हाफिज आशिक इलाही ने कही। उन्होंने कहा कि रमजान के रोजे को तीन हिस्से (असरा) में बांटा गया है। पहला असरा रहमत का, दूसरा मगफिरत का, तीसरा जहन्नम की आग से बचने का है। इस महीने में खाने-पीने का पूरा ख्याल रखा जाता है। रमजान महीने में रोजेदार पांच वक्त की नमाज इबादत के साथ अदा करते हैं। तीन बजे सुबह सादिक से शाम सूरज डूबने के बाद मगरिब की अजान होने तक भूखे प्यासे रहकर रोजा रखकर अल्लाह का इबादत करते हैं। रात में तरावी का नमाज पढ़ते हैं। रोजा में भूख प्यास का अहसासम होना अल्लाह को सबसे ज्यादा पसंद है। रमजान के महीना में एक वक्त फर्ज का नमाज 70 वक्त फर्ज नमाज पढ़ने के बराबर शबाब है। इस माह में नफिल नमाज भी फर्ज है। रमजान के महीने में अल्लाह रोजेदार के हर जायज तमन्ना को कुबूल करता है। उन्होंने आगे कहा आज पूरा देश कोरोना महामारी के गिरफ्त में हैं। सभी धार्मिक स्थल बंद है। इसलिए हम सब मिलकर अपने मुल्क और पूरी दुनिया से कोरोना वायरस को खत्म होने की काफी शिद्दत से दुआ मांगे। अल्लाह पाक ने चाहा तो बहुत जल्द कोरोना वायरस का खत्मा होगा।