कुरसेला संगम तट पर जुटी श्रद्धालुओं की भीड़

कटिहार। माघी पूर्णिमा के अवसर पर कुरसेला संगम तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही। श

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 12:06 AM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 12:06 AM (IST)
कुरसेला संगम तट पर जुटी श्रद्धालुओं की भीड़
कुरसेला संगम तट पर जुटी श्रद्धालुओं की भीड़

कटिहार। माघी पूर्णिमा के अवसर पर कुरसेला संगम तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही। शनिवार को सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया, अररिया जिले के हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ ट्रैक्टर ट्रॉली, ऑटो, बाइक तथा अन्य वाहन पर सवार होकर संगम तट पर पहुंचे और संगम के पावन जल में स्नान पूजा अर्चना की। मान्यता है कि संगम में एक बार डुबकी लगाने के बाद पूर्व जन्म के पाप के साथ अपने वर्तमान जीवन में किए गए कुकर्म का नाश होता है. स्नान को पहुंचे काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा पार कर दूसरे छोर पर स्थित बाबा बटेश्वर के स्थान पहुंचकर शनिवार की रात्रि में विश्राम करते हुए गंगा सेवन का सुख प्राप्त किया। वहीं माघी पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान को लेकर आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ से बाजारों में भी अधिक चहल-पहल रही। शनिवार को गंगा स्नान कर दोपहर बाद श्रद्धालुओं के लौटने का सिलसिला शुरू हो गया। कुरसेला में स्थित तीन मोहनी गंगा वेद ग्रंथों में वर्णित संगम उत्तरवाहिनी गंगा तट पापहरणी मोक्षदायनी माना जाता है। ऐसे स्थलों पर जप तप , ध्यान, साधना, गंगा सेवन और स्नान विशेष रूप से फलित समझा जाता है। कोसी नदी और कलवलिया नदी की धाराएं यहां गंगा नदी से संगम करती है। यहां गंगा नदी दक्षिण से उत्तर दिशा में प्रवाहित होती है।. सूर्योदय से ही उत्तर दिशा में प्रवाहित होती है।. सूर्योदय की किरणें सीधे गंगा के लहरों पर पड़ती है।. इससे प्रकृति का अनुपम ²श्य उपस्थित हो जाता है। नेपाल से निकलने वाली कोसी की सप्तधाराओं में एक सीमांचल क्षेत्र के कई जिलों से गुजरते हुए यहां आकर गंगा नदी से संगम कर अपना वजूद खो देती है।. कलवलिया नदी की एक छोटी धारा इस उत्तरवाहिनी गंगा तट से मिलकर संगम करती है।. गंगा नदी पार दूसरे छोड़ पहाड़ों के बीच बाबा बटेश्वरनाथ का प्रसिद्ध पौराणिक मंदिर है। धार्मिक रूप से उत्तर वाहनि गंगा तट का यह क्षेत्र उपकाशी समझा जाता है। इस बाबत संगम बाबा कहते है कि सवा हाथ धरती के कम पड़ने से यह क्षेत्र काशी नहीं बन सका। पुण्य भूमि काशी की सारी धार्मिक स्थितियां यहां विद्यमान है.। बाबा ने खुद का जीवन गंगा मैया के नाम समर्पण कर गंगा मैया की सेवा में लगे हुए है. इस स्थल से तकरीबन पांच किलोमीटर की दूरी पर तीनटेंगा तट पर माघी पूर्णिमा में भव्य मेला लगा करता है। गंगा तट पर संगम बाबा द्वारा मां गंगा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा - अर्चना के साथ हवन यज्ञ , भजन -कीर्तन तथा भंडारा का आयोजन किया गया है ।

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