बिजली बिल की गड़बड़ी में बिचौलियों की कट रही चांदी

कटिहार। ऑन स्पॉट बिलिग की शुरूआत के बाद भी विपत्र में गड़बड़ी का मामला थमने का नाम नही

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Nov 2020 10:37 PM (IST) Updated:Thu, 05 Nov 2020 10:37 PM (IST)
बिजली बिल की गड़बड़ी में बिचौलियों की कट रही चांदी
बिजली बिल की गड़बड़ी में बिचौलियों की कट रही चांदी

कटिहार। ऑन स्पॉट बिलिग की शुरूआत के बाद भी विपत्र में गड़बड़ी का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। विपत्र में गड़बड़ी से उपभोक्ताओं का वोल्टेज भी बढ़ने लगा है। ग्रामीण क्षेत्रों में समस्या और भी गंभीर हो चुकी है। यद्यपि विभाग द्वारा विपत्र में सुधार को लेकर पहल की बात कही जाती है। लेकिन यह महज औपचारिकता भर रह गई है। विद्युत विपत्र में सुधार कराने को लेकर बिचौलियों की सक्रियता काफी बढ़ गई है। सुबह से ही विद्युत कार्यालय में विपत्र सुधार को लेकर लोगों की लंबी भीड़ जुटती है। लेकिन इसके बाद भी उपभोक्ताओं की समस्या का समाधान नहीं हो पाता है। इसका मुख्य कारण नियमित रूप से रिडिग नहीं होना बताया जाता है। ऑन स्पॉट बिलिग की सुविधा के बाद लोगों को इससे राहत मिलने की उम्मीद थी। लेकिन कर्मियों की लापरवाही व नियमित रिडिग नहीं होने के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इससे उपभोक्ताओं को दोहरे नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। एक तो विद्युत बिल के समय पर भुगतान नहीं होने के साथ ही उन्हें जुर्माना की राशि भी वसूल की जाती है। जबकि विपत्र सुधार के नाम पर बिचौलियों द्वारा उपभोक्ताओं को ठगा जा रहा है। खासकर कदवा, बारसोई, आजमनगर, प्राणपुर आदि क्षेत्रों में यह समस्या गंभीर हो चुकी है।

ग्रामीण क्षेत्र में अब भी गंभीर है समस्या :

ऑन स्पॉट बिलिग की सुविधा के बाद भी परेशानी का निदान नहीं हो पाया है। नई व्यवस्था के तहत अब ऑन स्पॉट बिल उपभोक्ता को दिया जाना है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में नियमित रिडिग नहीं ली जाती है। इसके साथ ही मीटर लगने के बाद भी औपचारिक बिल जारी कर दिया जाता है। अचानक मीटर के अनुरूप बिल मिलने के बाद उपभोक्ताओं को भुगतान में परेशानी होती है। जबकि इसके लिए उपभोक्ता कार्यालय का चक्कर लगाकर थक चुके हैं। जबकि विद्युत कार्यालय के आसपास बिचौलिया मंडराते हैं, जो विपत्र सुधार का दावा कर लोगों से उगाही करते हैं। लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाता है। जबकि शिकायत पर अधिकारी भी महज जांच का आश्वासन देते हैं। इससे उपभाक्ताओं की परेशानी चरम पर है।

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