विशेष - आदिवासी समाज में शिक्षा का अलख जगा रही सुषमा
फोटो - 19 केएटी - 2 - 11 वर्षों से जारी है पूर्व सरपंच का प्रयास, हर बच्चे को शिक्षित करना
फोटो - 19 केएटी - 2
- 11 वर्षों से जारी है पूर्व सरपंच का प्रयास, हर बच्चे को शिक्षित करना मकसद
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तौफीक आलम, संसू फलका (कटिहार) : आदिवासी समाज में शिक्षा का अलग जगाने को लेकर पूर्व सरपंच सुषमा का प्रयास निरंतर जारी है। वे पिछले 11 वर्षों से आदिवासी समाज के बच्चे को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने को लेकर मुहिम चला रही है। इसके साथ ही आदिवासी समाज की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का भी वह प्रयास कर रही है। इसके लिए जीविका के माध्यम से वे महिलाओं को समूह बनाकर स्वरोजगार से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रही है। बता दें कि वे 2005 से लगातार दो बार क्षेत्र की सरपंच चुनी गई थी। इस दौरान उन्होंने महिलाओं को जागरूक करने के साथ ही बच्चों की शिक्षा के लिए पहल शुरू की थी, जो निरंतर जारी है।
गांव के सभी बच्चे जा रहे विद्यालय :
सुषमा का प्रयास का असर अब दिखने लगा है। उनके प्रयास से गांव के सभी बच्चे स्कूल जा रहे हैं। सरपंच पद पर रहते हुए उन्होंने जो मुहिम शुरू की थी उसका असर अब दिखने लगा है। बच्चों के साथ ही महिलाओं को भी साक्षर बनाने का उनका प्रयास सराहनीय है। इसके साथ ही पूर्व में ही उन्होंने आदिवासी समाज के लोगों को शराबबंदी को लेकर जागरूक कर शराब से तौबा करवा चुकी है। उनका यह प्रयास सराहनीय है। आज गांव के लोग शराबबंदी से तौबा कर विभिन्न रोजगार से जुड़ चुके हैं।
आपसी समन्वय से सुलझता है विवाद :
दो हजार की आबादी वाले रहटा के बेलगछी गांव में घरेलू सहित आपसी विवाद का निबटारा आपसी सहमति से होता है। इसके लिए भी सुष्मा सदैव सक्रिय रहती है। साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास से गांव में खुशहाली का दौड़ कायम है। गांव की महिलाएं भी पुरूषों से कदमताल कर रही है। सुषमा बताती है कि अगर समाज से पुरूष और महिला का भेद समाप्त हो तो समाज उन्नति के पथ पर अग्रसर होगा।
क्या कहती हैं बीडीओ :
फलका की बीडीओ रेखा कुमारी ने भी सुमन के कार्यों की सराहना की है। उन्होंने कहा कि समाज के हर वर्ग की महिलाओं को सुषमा से सीख लेकर हर क्षेत्र में अपने को साबित करने का प्रयास करना चाहिए।