बाल विवाह के विरोध में ढ़ाल बनकर खड़ी हुई सरिता
कटिहार। आदिवासी समाज में कम उम्र की बच्चियों की शादी के विरोध में सरिता ढाल बनकर खड़ी
कटिहार। आदिवासी समाज में कम उम्र की बच्चियों की शादी के विरोध में सरिता ढाल बनकर खड़ी रहती है। समाज में बाल विवाह के विरोध में आवाज बुलंद कर कई बच्चियों को बाल विवाह के दलदल से मुक्त कराया है। आदिवासी समाज में कम उम्र में लड़कियों की शादी की परंपरा के कारण सरिता का भी बाल विवाह कराया जा रहा था, लेकिन सरिता ने इसका विरोध किया और भूमिका विहार स्वयंसेवी संस्था की मदद से उसे बाल विवाह से मुक्त कराया गया। अपनी आपबीती से सबक लेते हुए सरिता ने बाल विवाह के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है। आज वह न केवल आदिवासी समाज की बच्चियों को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक कर रही हैं, वरन कई बच्चियों का बाल विवाह होने से बचा चुकी हैं।
सरिता बताती है कि उसके घर की माली हालत काफी खराब रहने और परिवार में तीन बेटियों की जिम्मेदारी रहने के कारण उसके विवाह की तैयारी की जा रही थी, लेकिन उन्होंने इसका विरोध किया। इस पहल में संस्था की भी भरपूर सहयोग मिला। इसके बाद इसके परिवार के लोग विवाह नहीं कराने को तैयार हुए। सरिता बताती है कि वह जिस दलदल से उबरी हैं इसमें और किसी को न फंसना पड़े यहीं उसकी मुहिम है। सामाजिक कुरीति के खिलाफ चला रही मुहिम : सरिता बताती हैं कि आदिवासी समाज में गरीबी और अशिक्षा के कारण लोग समाज की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाए हैं। उन्होंने कहा कि आज भी लड़कियों की पढ़ाई जरुरी नहीं समझी जाती है। सरिता इसके लिए ग्रामीणों को जागरूक कर बेटियों को विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित कर रही हैं। इसके साथ ही वह लड़कियों को बाल विवाह का विरोध करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। सरिता की पहल पर कई बच्चियों ने उसके साथ नियमित विद्यालय जाना प्रारंभ किया। साथ ही वह समाज में बाल विवाह जैसे अभिशाप और इसके कानूनी प्रावधान को लेकर लोगों को जागरूक कर रही है। उन्होंने कहा कि हर लड़की को इस अभिशाप से मुक्त कराना उसका मकसद है।