फिटनेस के नाम पर खानापूर्ति भी बनती है हादसों की वजह
अभियान - फोटो -25 केएटी- 20 खास बातें.. - मानक के विपरीत लाइट व हार्न का हो रहा बे
अभियान -
फोटो -25 केएटी- 20
खास बातें..
- मानक के विपरीत लाइट व हार्न का हो रहा बेतहासा प्रयोग
- जर्जर वाहन भी बनते हैं हादसों की वजह, नहीं होती पड़ताल
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संवाद सहयोगी, कटिहार :
सड़क हादसों का एक मुख्य कारण जर्जर व खटारा वाहनों का बेधड़क चलना भी है। सड़कों पर मानक के विपरीत दौड़ रहे वाहन भी हादसों की वजह बन रहे हैं। हालांकि पुराने वाहनों को सड़क पर उतरने के पूर्व उन्हें फीट घोषित होना आवश्यक है। यात्री से लेकर मालकवाहक वाहनों के फिटनेस की पड़ताल नहीं होना भी सड़क हादसों की वजह बनती है।
सड़कों पर दौड़ रहे व्यवसायिक वाहनों को नियमित फिटनेस सर्टिफिकेट लेने की आवश्यकता होती है। वाहनों के टैक्स एवं इन्श्योरेंस संबंधी कागजात की पड़ताल के बाद फिट घोषित कर दिया जाता है। सड़क हादसे की आंकड़ों पर गौर करें तो वाहनों की जर्जर स्थिति भी हादसों का कारण बनती है। अगर अधिकांश मालवाहक व यात्री वाहनों की फिटनेस जांच सही मायने में की जाय तो अधिकांश वाहन सड़कों पर उतरने के लायक भी नहीं हैं। ऐसे वाहन प्रदूषण बढ़ने का भी कारण हैं। आमतौर पर वाहनों की फिटनेस की सत्यता की जांच वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद ही पता लगाया जाता है। अगर विभाग इसके लिए संवेदनशील रहे तो दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है।
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गंभीरता से हो जांच तो काफी वाहन होंगे अनफिट
मोटर वाहन अधिनियम के तहत वाहनों की फिटनेस की जांच कर प्रमाण पत्र का वितरण किया जाना है। इस नियम के अनुसार जांच प्रमाण पत्र देने के पूर्व अधिकारी को वाहन की सुरक्षा से जुड़े हर पहलू की जांच करनी है। परीक्षण में वाहन के स्पार्क प्लग से लेकर लाइट व हार्न की भी जांच की जानी है। साथ ही वाहनों की ब्रेक व स्टेयरिग की गहन जांच के बाद संतुष्ट होने के पश्चात ही प्रमाण पत्र दिया जाना है। नियम के अनुसार वाहन की टेस्ट ड्राइव भी होनी है। लेकिन जमीन पर ये सारी बातें कागजी प्रक्रिया बनकर रह गई है। कुहासों के समय भी बिना रिफलेक्टर लाईड, फाग लाइट, इंडीकेटर, बैक लाइट के दौड़ रहे वाहनों के कारण भी आए दिन एनएच सहित अन्य मार्गो पर दुर्घटनाएं हो रही है।
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जुगाड़ व ट्राली भी बन रहे हादसों की वजह
हाल के दिनों में सड़कों पर जुगाड़ वाहनों की बाढ़ आ गई है। गांव की सड़कें हो या शहर का चौराहा या राष्ट्रीय उच्च पथ जुगाड़ वाहनों की रफ्तार हर जगह तेज हो गई है। सड़कों पर जुगाड़ वाहन भी हादसों की वजह बन रहे हैं। जिले में जुगाड़ वाहन के कारण एक साल में आधा दर्जन दुर्घटनाएं घटित हो चुकी है। जुगाड़ वाहन के रजिस्ट्रेशन आदि को लेकर अभी कोई नियम लागू नहीं की गई है। जबकि ट्रैक्टर व ट्राली का प्रयोग भी धड़ल्ले से किया जाता है। अधिकांश ट्रैक्टर कृषि कार्य के लिए लिया जाता लेकिन उसका उपयोग भी व्यवसायिक कार्य के लिए किया जाता है। टैक्टर व ट्राली एवं जुगाड़ वाहन में ओवरलोडिग दुर्घटना का कारण बनता है।