देर से आई बाढ़ बहा ले गई दियारा का काला सोना

कटिहार। काला सोना के नाम से प्रसिद्ध कलाई की फसल अब बरारी सहित आसपास के गंगा दियारा में न

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Oct 2019 09:59 PM (IST) Updated:Mon, 21 Oct 2019 09:59 PM (IST)
देर से आई बाढ़ बहा ले गई दियारा का काला सोना
देर से आई बाढ़ बहा ले गई दियारा का काला सोना

कटिहार। काला सोना के नाम से प्रसिद्ध कलाई की फसल अब बरारी सहित आसपास के गंगा दियारा में नहीं दिखेगा। विलंब से आयी बाढ़ ने इस बार कलाई के उत्पादन पर ग्रहण लगा दिया है। प्रलयंकारी बाढ़ का पानी अब भी यहां के दूर-दूर तक फैले रेतीली भूमि पर काबिज है। इससे इसके ससमय बोआई पर संकट उत्पन्न हो गया है।

कब है बोआई का समय :

अमूनन गंगा नदी के बाढ़ का पानी उतरने के साथ ही यहां के करीब एक हजार से अधिक हेक्टेयर में फैले खेती योग्य भूमि में कलाई फसल का बोआई 15 अगस्त से 15 सितम्बर के बीच होता है, लेकिन इस बार देर से आई प्रलयकारी बाढ़ ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। जो फसल बो चुके थे, उसकी फसल बर्बाद हो चुकी है। जबकि अधिकांश किसान फसल की बोआई ही नहीं कर पाए हैं।

क्या कहते हैं किसान :

दियारा के किसान अरुण कुमार सिंह, मनोज यादव, रामनिवास यादव, ललन यादव, सीताराम चौधरी, राधे महतो आदि ने कहा कि उक्त खेती किसानों के लिए कम लागत में बेहतर लागत का विकल्प है। बाढ़ का पानी यहां के विस्तृत भू भाग से उतरने के साथ ही खेतों में नमी होती है। इसका फायदा उठाकर किसान मध्य भादो से मध्य अश्विन के बीच कलाई का छिड़काव कर देते है और बिना खाद, पानी के ही बेहतर उत्पादन होता है। अमूनन प्रति एकड़ दस से बारह मन कलाई का उत्पादन होता है, जो प्रति किक्टल पांच हजार की दर से आसानी से बिक जाता है। इस बार कलाई फसल की उम्मीद ही क्षीण्ण हो गई है।

अपराधियों की भी फसल पर रहती है नजर:

दियारा के काला सोना के नाम से प्रसिद्ध कलाई फसल के तैयार होने के साथ ही इस पर अवैध कब्जा और लेवी को लेकर विभिन्न अपराधिक गिरोहों की सक्रियता बढ़ जाती है। जिसकी लाठी उसकी भैस के तर्ज पर खूनी संघर्ष परवान पर होता है। यहां का भौगोलिक बनावट अपराधियों के लिए वरदान साबित होता है।

क्या कहते हैं अधिकारी :

प्रखंड कृषि पदाधिकारी रामरतन सिंह ने कहा कि देर से आई प्रलयकारी बाढ़ ने किसानों के कलाई फसल की बोआई की मंशा पर पानी फेर दिया है। अभी भी यहां के विस्तृत भू-भाग में बाढ़ के पानी का फैलाव है, जो धीरे-धीरे नीचे उतर रहा है। आगे विकल्प के तौर पर दियारा के किसान मक्का, मूंग, सरसों की खेती कर सकते हैं।

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