तीन दशक से तटबंध पर कट रही है विस्थापितों की जिदगी

कटिहार। महानंदा नदी के कटाव ने पिछले तीन दशक में कई गांवों को अपने आगोश में समा लिया है। कटाव की भेंट चढ़ चुके गांवों का नाम अबतक लोगों की जुबां पर ही है। दर्जनों परिवार कटाव से विस्थापन का दर्द झेल रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 05:15 PM (IST) Updated:Tue, 20 Jul 2021 05:15 PM (IST)
तीन दशक से तटबंध पर कट 
रही है विस्थापितों की जिदगी
तीन दशक से तटबंध पर कट रही है विस्थापितों की जिदगी

कटिहार। महानंदा नदी के कटाव ने पिछले तीन दशक में कई गांवों को अपने आगोश में समा लिया है। कटाव की भेंट चढ़ चुके गांवों का नाम अबतक लोगों की जुबां पर ही है। दर्जनों परिवार कटाव से विस्थापन का दर्द झेल रहे हैं। विस्थापित परिवार महानंदा के बाएं तटबंध एवं इसके आसपास अपना आशियाना बनाकर पिछले तीन दशक से गुजर-बसर कर रहे हैं। विस्थापित परिवारों को बुनियादी सुविधा भी नहीं मिल पा रही है।

विशेषकर गमहार गाछी, जितवारपुर, मंझोक, बेनिबरी आदि गांव के कई परिवार कटाव से विस्थापित होकर तटबंध पर रह रहे हैं। विस्थापित परिवारों को आवास, शौचालय, पेयजल आदि के लिए भी भटकना पड़ता है। विस्थापित परिवार के बच्चों की पढ़ाई भी बाधित है। प्रतिवर्ष कटाव का दायरा बढ़ने के साथ विस्थापितों की संख्या बढ़ती जा रही है। वहीं इनकी खेतीबाड़ी की उपजाऊ जमीन भी नदी की धारा में विलीन हो रहा है। इस कारण ऐसे परिवारों के सामने रोजी-रोटी की समस्या भी है। विस्थापित परिवारों का न तो पुनर्वास हो सका और न ही कोई सुध ली जा सकी है।

नदी के गर्भ में समा चुके हैं कई गांव :

महानंदा नदी के कटाव से तीन दशक में मंझोक, बेनिबरी, रैयापुर, नाजिरपुर, गोसाइकोल, रतनपुर, बलिहारपुर आदि गांवों का अस्तित्व समाप्त हो गया है। जहां कभी आबादी बसती थी, वहां नदी की कल कल धारा बह रही है।

क्या कहते विस्थापित परिवार

शेखपुरा पंचायत स्थित तटबंध पर वर्षों से शरण लिए मोहसिन, यूसुफ, अबुल, मुस्ताक, हैदर, मुस्लिम, आलम, भेलू आदि ने बताया कि वर्षों से विस्थापन के दर्द झेलने के साथ वे लोग कई सुविधा से वंचित हैं। आवास और शौचालय की सुविधा भी नहीं है। घर के साथ उपजाऊ भूमि नदी में जाने से परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। वे लोग किसी तरह तटबंध पर परिवार के साथ झोपड़ी में जिल्लत भरी जिदगी गुजार रहे हैं। शेखपुरा पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि मु इकबाल ने बताया कि उनके पंचायत में 200 से अधिक परिवार विस्थापित हैं। वेलोग वर्षों से तटबंध पर रह रहे हैं। उनकी स्थिति काफी दयनीय है। घर सहित कृषि योग्य जमीन भी कटाव की भेंट चढ़ चुका है।

क्या कहते हैं विधायक

इस संबंध में स्थानीय विधायक डा शकील अहमद खान ने कहा कि विस्थापित परिवार को जमीन

मुहैया करा पुनर्वासित करने का काम जिला प्रशासन को करना चाहिए। विस्थापितों की समस्या को लेकर जिलाधिकारी से बात की जाएगी।

क्या कहते हैं अंचलाधिकारी

अंचलाधिकारी रविशंकर सिन्हा ने बताया कि 35 विस्थापित परिवारों का भू अर्जन के लिए अभिलेख भेजा गया है। चिह्नित विस्थापित परिवार को पांच डिसमिल जमीन देकर बसाया जाएगा। अन्य विस्थापित परिवारों को भी स्थलीय जांच के बाद पुनर्वासित करने की दिशा में आवश्यक पहल की जाएगी।

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