किसानों में बढ़ रहा जूट का आकर्षण

कटिहार। कम लागत मे बेहतऱ उत्पादन होने एवं विभागीय स्तर से जूट की खेती को प्रोत्साहित करने की योजना के कारण किसानों का रूझान जूट की खेती की ओर हुआ है। पिछले एक दशक में जूट की खेती का रकवा जिले में छह हजार हेक्टेयर तक बढ़ा है। सीमांचल के जूट की डिमांड अधिक होने के कारण किसानों को बाजार भाव भी अधिक मिल रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 10:48 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 10:48 PM (IST)
किसानों में बढ़ रहा जूट का आकर्षण
किसानों में बढ़ रहा जूट का आकर्षण

कटिहार। कम लागत मे बेहतऱ उत्पादन होने एवं विभागीय स्तर से जूट की खेती को प्रोत्साहित करने की योजना के कारण किसानों का रूझान जूट की खेती की ओर हुआ है।

पिछले एक दशक में जूट की खेती का रकवा जिले में छह हजार हेक्टेयर तक बढ़ा है। सीमांचल के जूट की डिमांड अधिक होने के कारण किसानों को बाजार भाव भी अधिक मिल रहा है। बताते चलें कि आरबीएचएम जूट मिल एवं निजी क्षेत्र की सनबायो जूट मिल बंद होने से पाट की खेती से स्थानीय किसान विमुख होने लगे। लेकिन गत दो वर्षों से जूट की खेती के लिए अनुदान एवं किसानों को प्रशिक्षण देने की योजना के कारण पिछले तीन वर्षों हर साल जूट की खेती का रकवा बढ़ रहा है। जूट की बोआई मार्च महीने के मध्य मे की जाती है। तीन महीने बाद इसका रेशा पककर कटाई योग्य हो जाता है। एक एकड़ की खेती में 18 हजार आती है लागत

:एक एकड़ जूट की खेती में करीब 18 हजार की लागत आती है। जूट का रेशा पककर तैयार होने के बाद कटाई के बाद गहरे पानी तीन से चार दिनों तक सड़ाकर पाट का रेशा निकाला जाता है। एक एकड़ में करीब 10 क्विटल तक पाट का उत्पादन होता है। वर्तमान में जूट का बाजार भाव 6200 से 6300 रूपये प्रति क्विटल है। बाजार भाव अधिक मिलने से लागत के अनुरूप किसानों को दोगुना मुनाफा हो रहा है।

पिछले वर्ष की अपेक्षा बढ़ा खेती का रकवा

पिछले वर्ष की अपेक्षा।जूट की खेती का रकवा इसबार बढ़ा है। एक दशक पूर्व तक जिले में करीब 27 हजार हेक्टेयर में पाट की खेती होती थी। जूट मिल बंद होने से स्थानीय स्तर पर जूट की मांग होने के कारण रकवा घटकर 16000 हेक्टेयर तक पहुंच गया। वर्तमान में जूट की खेती करीब 22 हजार हेक्टेयर में हो रही है। किसान मु फैजुल, मु पतानू, हीरामन चौहान, विपूल कुशवाहा आदि ने बताया कि कम लागत में अधिक आमदनी के कारण किसानो का रूझान इस ओर बढ़ा है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक गत वर्ष जिले में 16 हेक्टेयर में जूट की खेती की गई थी। इसबार रकवा बढ़कर करीब 22 हजार हेक्टेयर हो गया है। बरारी प्रखंड में ही रकवा 200 हेक्टेयर तक बढ़ा है। उन्नत किस्म की जूट की है डिमांड

सीमांचल में होने वाले जूट की किस्म उन्नत होने के कारण पश्चिम बंगाल में इसकी भारी डिमांड है। जानकारो उन्नत किस्म के जूट के रेशे से बोरा, दरी, रस्सी, कपड़ा सहित अन्य सामान तैयार किया जाता है। क्या कहते है पदाधिकारी

प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी राकेश रौशन पाट प्रसार केंद्र द्वारा जूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रशिक्षण देने के साथ ही अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध कराया जाता है। किसानों का रूझान जूट की खेती की ओर बढ़ा है।

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