तटबंध पर रेनकट की नहीं हो पाई मरम्मत, तबाही मचा सकती है महानंदा

कटिहार। तटबंध सुरक्षित होने का बाढ़ नियंत्रण विभाग के दावे की पोल हर साल बाढ़ के दौरान खुल जाती है। लगातार हो रही बारिश से महानंदा के जलस्तर मे बढ़ोतरी होने की आशंका से तटवर्ती इलाके के लोग सहमे हुए है। जलस्तर बढ़ने के साथ ही तटबंधों पर भी दबाव बनेगा।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 10:05 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 10:05 PM (IST)
तटबंध पर रेनकट की नहीं हो पाई  मरम्मत, तबाही मचा सकती है महानंदा
तटबंध पर रेनकट की नहीं हो पाई मरम्मत, तबाही मचा सकती है महानंदा

कटिहार। तटबंध सुरक्षित होने का बाढ़ नियंत्रण विभाग के दावे की पोल हर साल बाढ़ के दौरान खुल जाती है। लगातार हो रही बारिश से महानंदा के जलस्तर मे बढ़ोतरी होने की आशंका से तटवर्ती इलाके के लोग सहमे हुए है। जलस्तर बढ़ने के साथ ही तटबंधों पर भी दबाव बनेगा। आजमनगर और दमदमा के बीच तटबंध पर कई स्थानों पर रेनकट की मरम्मत का काम अब तक पूरा नहीं किया गया है।

स्पर-15 पर हर साल बना रहता है खतरा

तटबंध क्षतिग्रस्त होने एवं सीपेज से आजमनगर प्रखंड सहित जिले की बड़ी आबादी बाढ़ की चपेट में आ जाती है इससे जानमाल का व्यापक नुकसान होता है। वर्ष 2017 में आई बाढ़ के बाद भी तटबंधों की मरम्मत को ले कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। आजमनगर-मीनापुर के बीच कुछ स्थाने पर मरम्मत कार्य किया गया। महानंदा के स्पर-15 पर भी हर साल स्थिति नाजुक बनी रहती है।

बाढ़ से तबाही का दर्द है दशकों पुराना : प्रखंड क्षेत्र के लोग दशकों से बाढ़ का दर्द झेलते रहे है। 1987 में महानंदा की उफान से बड़ी आबादी बेघर हुई थी। इसके बाद साल दर साल ये दर्द नासूर बनता गया। 2016 व 2017 में तो महानंदा की बाढ़ ने तटबंध की मजबूती और बाढ़ नियंत्रण विभाग की तैयारियों के दावों की पोल ही खोल दी थी। प्रखंड क्षेत्र में चार स्थानों पर तटबंध क्षतिग्रस्त हुआ था। आधा दर्जन से ज्यादा स्थानों पर सीपेज की समस्या सामने आई। इस बार भी बाढ़ निरोधात्मक कार्य को लेकर विभाग गंभीर नहीं है।

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