नहीं बना ट्रामा सेंटर, हर माह छह लोगों की चली जाती है जान
कटिहार। चुनावी मौसम में लोगों की फिक्र बढ़ जाती है और उनकी भलाई और बेहतरी को लेक
कटिहार। चुनावी मौसम में लोगों की फिक्र बढ़ जाती है और उनकी भलाई और बेहतरी को लेकर घोषणा भी होती है, लेकिन चुनाव के बाद यह वादा अधर में लटक जाता है। इसकी परवाह शायद अगले चुनाव तक ओझल ही रहती है। यही हाल जिले में प्रस्तावित ट्रामा सेंटर का है। इसके निर्माण की कवायद आजतक पूरी नहीं हो पाई है और हर माह सड़क दुर्घटना में सात लोग अपनी जान गंवा रहे हैं, जबकि दो दर्जन जिदगी और मौत से जूझते हैं। सड़क दुर्घटना में मौत का मुख्य कारण समय पर उपचार नहीं मिलना माना जाता है। लगातार बढ़ रहे सड़क हादसों के ग्राफ के बाद लोगों के जिदगी की फिक्र अनसुनी करना खल रहा है।
बता दें कि सड़क हादसे को लेकर एनएच 31 और एसएच 77 काफी संवेदनशील है। आंकड़ों की माने तो इन दानों सड़कों पर हुए सड़क हादसों में हर माह औसतन सात लोग अपनी जान गंवा देते हैं। इसकी रफ्तार लगातार बढ़ रही है। सड़क हादसों को लेकर आरटीआई से मांगी गई सूचना में भी हर साल 72 लोगों की मौत होने की बात कही गई है। इसपर लगाम लगाने और घायलों को तत्काल उपचार के लिए ट्रामा सेंटर निर्माण की पहल पूरी नहीं हो पाई है।
कोढ़ा से कुर्सेला के बीच होती है सर्वाधिक दुर्घटनाएं
एनएच 31 पर कोढ़ा से कुर्सेला के बीच सर्वाधिक सड़क दुर्घटना होती है। एसएच 77 पर कुर्सेला से फलका के बीच सड़क दुर्घटना में लगातार वृद्धि हो रही है। इसका कारण वाहनों का दबाव और बेलगाम गति मानी जाती है। एनएच व एसएच के समीप स्थित अस्पतालों में भी मुकम्मल व्यवस्था नहीं रहने के कारण दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुए मरीजों को कटिहार या पूर्णिया रेफर किया जाता है। इसमें अधिकांश की मौत अस्पताल पहुंचने के पूर्व ही हो जाती है। अगर दुर्घटनाग्रस्त लोगों को समय पर उपचार की सुविधा मिले तो वे जिदगी की जंग जीत सकते हैं।
जमीन चिह्नित करने की भी नहीं हुई कवायद :
बता दें कि ट्रामा सेंटर निर्माण को लेकर इन वर्षों में जमीन चिन्हित करने की भी पहल पूरी नहीं हो पाई है। विभागीय स्तर से लेकर जनप्रतिनिधियों तक इस दिशा में खास दिलचस्पी नहीं लेने के कारण ट्रामा सेंटर निर्माण की फाइल धूल फांक रही हैं। जीवन और मौत से जुड़े इस संवेदनशील मुद्दे को लेकर सकारात्मक पहल होना बांकी है। यद्यपि चुनाव व सभाओं में इसकी चर्चा कर सुर्खियां जरुर बटोरी जाती है, लेकिन बात हवा में ही रह जाती है।