पानी में बह गई 54 करोड़ की योजनाएं

कटिहार। नदियों के कटाव को रोकने के लिए सरकारी स्तर पर योजनाएं तैयार की जाती है और कटावनिरोधी कार्य भी किया जाता है किंतु नदियों के हर साल बदलते रूख के कारण सरकार की योजनाओं पर करोड़ों का खर्च पानी में बह जाता है। विभागीय उदासीनता के कारण भी समय पर कटावनिरोधी कार्य पूरा नहीं हो पाने तक स्थानीय स्तर से भेजे गए प्रस्ताव की अंतिम स्वीकृति नहीं मिल पाने के कारण कुरसेला के पत्थरटोला से खेरिया तक हर वर्ष कटाव में किसानों की उपजाऊ जमीन गंगा और कोसी के गर्भ में समा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 07:12 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 07:12 PM (IST)
पानी में बह गई 54 करोड़ की योजनाएं
पानी में बह गई 54 करोड़ की योजनाएं

कटिहार। नदियों के कटाव को रोकने के लिए सरकारी स्तर पर योजनाएं तैयार की जाती है और कटावनिरोधी कार्य भी किया जाता है किंतु नदियों के हर साल बदलते रूख के कारण सरकार की योजनाओं पर करोड़ों का खर्च पानी में बह जाता है। विभागीय उदासीनता के कारण भी समय पर कटावनिरोधी कार्य पूरा नहीं हो पाने तक स्थानीय स्तर से भेजे गए प्रस्ताव की अंतिम स्वीकृति नहीं मिल पाने के कारण कुरसेला के पत्थरटोला से खेरिया तक हर वर्ष कटाव में किसानों की उपजाऊ जमीन गंगा और कोसी के गर्भ में समा रही है।

पिछले एक माह के दौरान ही 200 एकड़ से अधिक कृषि योग्य भूमि कटाव की भेंट चढ़ चुकी है। चार दिनों पूर्व जिलाधिकारी ने कटाव स्थल का जायजा लेकर बेंबु पाइलिग से कटावनिरोधी कार्य कराने का निर्देश दिया है। तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि बेंबु पाइलिग से कटाव पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती है। इसके लिए कटावनिरोधी बड़ी योजना पर काम कराए जाने की जरूरत है। हालांकि तटवर्ती गांवों से अभी कटाव दूर हो रहा है, लेकिन कटाव की रफ्तार यही रही तो कई गांव और टोले कटाव की चपेट में आ जाएगा। कुर्सेला के समीप गंगा और कोसी का संगम होने के कारण यहां पानी का बहाव तेज गति से होता है। तीन वर्ष पूर्व कराया गया कटाव निरोधी कार्य नदी के तट पर गहराई में तो सुरक्षित है। लेकिन जलस्तर बढ़ने और घटने की स्थिति में उपरी हिस्से में कराया गया बोल्डर पीचिग कार्य कई स्थानों पर ध्वस्त हो चुका है। सैंड बैग से कटाव रोकने का काम भी असफल साबित हुआ। हालांकि कटाव स्थल पर बेंबु पाइलिग से काम कराए जाने की ओर ध्यान तब आया जब किसानों की 200 एकड़ जमीन नदी के गर्भ में समा चुका है। स्थानीय किसानों की मानें तो मई माह में कटावनिरोधी कार्य कराया जाता तो कटाव पर बहुत हद तक नियंत्रण पाया जा सकता था।

54 करोड़ की योजना से भी नहीं मिल पाई कटाव से निजात

पत्थरटोला से कमलाकानी तक पांच वर्ष 54 करोड़ की योजना से कटाव निरोधी कार्य कराने कमा प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा गया था। प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद बोल्डर पीचिग का कार्य कराया गया। कई स्थानों पर बोल्डर पीचिग कार्य तेज कटाव के कारण पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है।

कटाव पर रोक के लिए भेजे गए प्रस्ताव को नहीं मिल पाई स्वीकृति

पत्थरटोला के समीप हो रहे कटाव पर रोक के लिए बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल द्वारा पिछले वर्ष भी कटाव निरोधी कार्य का प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा गया था। तकनीकी स्वीकृति मिलने के बाद इस प्रस्ताव को अंतिम स्वीकृति नहीं मिल पाई। इसके कारण कटाव निरोधी कार्य नहीं कराया जा सका। स्थानीय स्तर पर सैंड बैग से कटाव रोकने की असफल कोशिश जरूर की गई।

स्वीकृति के इंतजार में नहीं हो सका काम

मुख्यालय को भेजे गए कटाव निरोधी कार्य की अंतिम स्वीकृति के इंतजार में समय पर कटाव निरोधी कार्य नहीं कराया जा सका। कटाव के रौद्र रूप धारण करने के बाद बेंबु पाइलिग से कटाव निरोधी कार्य कराए जाने का निर्देश दिया गया है।

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