सांस्कृतिक खूबसूरती का वाहक है प्राचीन शाहनगर दुर्गा मंदिर

कटिहार। बिहार और पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित प्राणपुर प्रखंड के अंतर्गत गौरीपुर पंचायत क

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 06:16 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 06:16 PM (IST)
सांस्कृतिक खूबसूरती का वाहक 
है प्राचीन शाहनगर दुर्गा मंदिर
सांस्कृतिक खूबसूरती का वाहक है प्राचीन शाहनगर दुर्गा मंदिर

कटिहार। बिहार और पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित प्राणपुर प्रखंड के अंतर्गत गौरीपुर पंचायत के शाहनगर में मां दुर्गा का मंदिर सांस्कृतिक खूबसूरती का वाहक माना जाता है। इस मंदिर से लोगों की असीम आस्था जुड़ी हुई है। मंदिर का निर्माण दिल्ली दीवानगंज के राजा ने कराया था। बाद में राज परिवार की उदासीनता के कारण यहां के स्थानीय लोग स्वर्गीय शिव नारायण सिंह, अयोध्या मंडल, जगन मंडल, जगन्नाथ यादव, विष्णु परिहार जैसे गांव के प्रबुद्ध लोगों के द्वारा पूजा-पाठ का संचालन किया जाने लगा। उनके बाद शाह नगर के आदिवासियों ने पूजा-पाठ का बीड़ा उठाया। वर्तमान में यहां प्रतिवर्ष भव्य मेला लगता है जिसमें आदिवासी नृत्य का आयोजन होता है। इसके अलावा मेले में भेड़ और मुर्गे की लड़ाई आकर्षण का विशेष केंद्र होता है।

मंदिर की विशेषता :

कहा जाता है कि इस मंदिर में कभी भी बलि देने की प्रथा नहीं रही है। मेले का खास आकर्षण संथाली आदिवासियों का नित्य के साथ-साथ भेड़ों व मुर्गाें की लड़ाई होती है। मान्यता है कि इस इस मंदिर में जो भी अपनी मन्नत लेकर माता के चरणों में आता है उसकी मन्नत जरुर पूरी होती है। चैती नवमी की रात्रि यहां पूजा-अर्चना के लिए अब भी काफी तादाद में महिलाएं जुटती है।

प्रशासनिक व्यवस्था से नाराजगी:

इस मेले के विकास को लेकर प्रशासनिक सहयोग नहीं मिलने से लोगों में नाराजगी भी है। पंचायत के पूर्व मुखिया प्रताप सिंह ने कहा कि पांच साल पूर्व तक प्रशासन द्वारा एक मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में एक दर्जन पुलिसकर्मी की तैनाती यहां शांति व्यवस्था के लिए होती है। इससे मेला आयोजन समिति के साथ आम लोगों को भी राहत मिलती थी। गत कुछ वर्षों से ऐसा नहीं हो रहा है। मौलिक सुविधा के विकास को लेकर भी अब तक कोई पहल नहीं हुई है।

क्या कहते हैं ग्रामीण :

भजन सिंह, कन्हैया प्रसाद सिंह, सुफल सोरेन, खुद मुर्मू, बायला हेंब्रम, प्रताप सिंह, विश्वनाथ झा, चंदन मंडल आदि लोगों ने कहा कि प्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नवमी व दशमी को यहां भव्य मेला लगता है। इसके विकास के लिए यथोचित पहल होनी चाहिए।

chat bot
आपका साथी