गंदगी व शवदाह अपशिष्ट से मैली हो रही मोक्षदायिनी गंगा

कटिहार। गंदगी व शवदाह अपशिष्ट से मनिहारी गंगा तट प्रदूषित हो रहा है। गंगा घाट पर विद्युत शवदाह गृह की योजना तो बनाई गई। लेकिन तीन वर्ष बाद भी इस दिशा में अब तक कोई काम शुरू नहीं हो पाया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 10:35 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 10:35 PM (IST)
गंदगी व शवदाह अपशिष्ट से 
मैली हो रही मोक्षदायिनी गंगा
गंदगी व शवदाह अपशिष्ट से मैली हो रही मोक्षदायिनी गंगा

कटिहार। गंदगी व शवदाह अपशिष्ट से मनिहारी गंगा तट प्रदूषित हो रहा है। गंगा घाट पर विद्युत शवदाह गृह की योजना तो बनाई गई। लेकिन तीन वर्ष बाद भी इस दिशा में अब तक कोई काम शुरू नहीं हो पाया है।

नमामि गंगे योजना व जल, जीवन, हरियाली योजना के बीच मनिहारी गंगा घाट पर शवदाह के कारण औसतन हर रोज सौ मन लकड़ी का राख गंगा में प्रवाहित किया जा रहा है। विद्युत शवदाह गृह नहीं होने से कई अधजली लाशों को भी गंगा में प्रवाहित कर दिया जाता है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि नगर पंचायत क्षेत्र के नालों का गंदा पानी व शवदाह अपशिष्ट नदी में बहाए जाने के कारण गंगा में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। मनिहारी गंगा घाट पर प्रत्येक दिन औसतन आठ से दस शव का अंतिम संस्कार किया जाता है। कोसी व पूर्णिया प्रमंडल के विभिन्न जिलों से भी लोग अपने स्वजन का अंतिम संस्कार करने मनिहारी गंगा घाट पहुंचते हैं। गंगा किनारे राख व छाई यत्र तत्र पसरा रहने के कारण गंगा में प्रदूषण बढ़ रहा है। लोगों की मांग पर विद्युत शवदाह गृह बनाने की योजना भी तैयार की गई। नमामी गंगे योजना के तहत मनिहारी गंगा घाट के सौदर्यीकरण, विद्युत शवदाह गृह सहित इससे जुड़े अन्य मुद्दों को लेकर उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने नगर पंचायत के सभाकक्ष में पिछले दिनों बैठक की थी। योजना को लेकर अधिकारियों ने एक प्रजेंटेशन भी बैठक में दिखाया था। स्थानीय विधायक मनोहर प्रसाद सिंह ने बताया कि इस मामले को विधानसभा में भी उठाया गया है। उन्होंने कहा कि शवदाह अपशिष्ट से गंगा प्रदूषित हो रही है। सरकार नमामी गंगे योजना व पर्यावरण संरक्षण पर करोड़ों रूपये खर्च कर रही है। मुख्य पार्षद ममता देवी ने कहा कि मनिहारी गंगा तट के सौंदर्यीकरण, सीढ़ीनुमा स्नान घाट, श्मशान घाट सहित अन्य आधुनिक सुविधा मुहैया कराने के लिए उपमुख्यमंत्री प्रयासरत हैं। श्याम कंसल्टेंट कम्पनी ने इसकी रूपरेखा तैयार कर स्थलीय जायजा भी लिया है।

पर्यावरणविद डा. टीएन तारक ने बताया कि गंगा की स्वच्छता के साथ नमामि गंगे योजना के लिए भी विद्युत शवदाह गृह का निर्माण जरूरी है। शवदाहगृह नही होने के कारण लकड़ी की राख से गंगा प्रदूषित हो रही है। राजय सरकार एवं जिला प्रशासन से इसको लेकर कई बार मांग की गई। लेकिन स्थिति जस की तस है।

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