गर्भवती को मिलेगी स्वास्थ्य सुविधा, कोरोना जांच की अनिवार्यता नहीं
कटिहार। कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के लिए
कटिहार। कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग हर संभव प्रयास कर रहा है। गर्भवती महिलाओं एवं धातृ माताओं को बेहतर सुविधा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक अहम निर्णय लिया है। अब गर्भवती महिलाओं को बिना किसी देरी के तुरंत उपचार प्रदान किया जायेगा। गर्भवती महिलाओं के इलाज एवं प्रसव के लिए कोरोना जांच की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने पत्र जारी कर आवश्यक दिशा निर्देश दिया है। जारी पत्र में कहा गया है कि संक्रमण की रोकथाम के लिए सुरक्षा एवं सावधानी का पालन करना बहुत आवश्यक है। गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व, प्रसव के दौरान एवं प्रसव पश्चात सेवा प्रदान करना सुनिश्चित किया जाना है। इसके लिए सभी स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए विशेष कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। पत्र में कहा गया है कि ऐसा देखा गया है कि गर्भवती महिला को कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट दिखाने की मांग स्वास्थ्य सेवा देने के पूर्व की जाती है। चिकित्सकों को निर्देश दिया गया है कि गर्भवती महिलाओं को बिना देरी स्वास्थ्य सेवा प्रदान की जाए। किसी भी स्थिति में सेवा देने से नहीं करें इंकार
पत्र में कहा गया है कि सभी निजी एवं सरकारी क्षेत्र के स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा वैक्सीन की दोनों खुराक ले ली गई होगी। इसलिए कोरोना प्रोटोकॉल के साथ सभी सेवा गर्भवती महिलाओं को प्रदान की जाए एवं किसी भी स्थिति में सेवा से इंकार नहीं किया जाए। सेवा से इंकार किये जाने को गंभीरता लिया जाएगा। पत्र में कहा गया है कि 104 कॉल सेंटर के माध्यम से शिकायतों को दर्ज करने के लिए लाभुकों को प्रेरित किया जाए और सेवा से इंकार जैसी स्थित से तुरंत ही निपटा जाए। संस्थागत प्रसव को दें प्राथमिकता:
कोरोना काल में भी सदर अस्पताल सहित सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में सुरक्षित प्रसव के लिए सुरक्षा के मद्देनजर समुचित व्यवस्था उपलब्ध है। इसके अलावा प्रसव के बाद महिलाओं को स्वास्थ्य एवं शिशु के बेहतर शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक जानकारी भी दी जाती है। ताकि प्रसव के पश्चात भी माता एवं शिशु को किसी प्रकार की शारीरिक परेशानी नहीं हो। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने का निर्देश दिया गया है।