यातायात नियमों की नहीं रहती परवाह, लापरवाही से जा रही जानें

कटिहार। जिले में औसतन हर माह सड़क हादसे में आधा दर्जन लोगों की जानें चली जाती है। अलग-अल

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 07:40 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 07:40 PM (IST)
यातायात नियमों की नहीं रहती परवाह, लापरवाही से जा रही जानें
यातायात नियमों की नहीं रहती परवाह, लापरवाही से जा रही जानें

कटिहार। जिले में औसतन हर माह सड़क हादसे में आधा दर्जन लोगों की जानें चली जाती है। अलग-अलग कारण सामने भी आते हैं। अधिकांश मामलों में एक कारण यातायात नियमों की अनदेखी भी होती है। खासकर बेलगाम रफ्तार, तीखे मोड़ की अनदेखी व हेलमेट न पहनने के कारण लोगों की जानें जाती है। जाहिर तौर पर इसका क्रियान्वयन नहीं होना व्यवस्था पर एक सवाल है। इसके विपरीत यह भी साफ है कि लोग खुद इन नियमों के पाबंद होने को तैयार नहीं है। बहरहाल आज भी सैकड़ों परिवार इस दंश को झेल रहे हैं। सालमारी के बटुक मंडल के पुत्र की मौत पांच साल पूर्व बाइक दुर्घटना में हुई थी। मौत का कारण सिर में गहरी चोट बना था। जिस समय यह घटना घटी थी, उसके सिर पर हेलमेट नहीं था। इस बात का दर्द आज भी उसका पूरा परिवार सह रहा है।

सड़कों पर दौड़ती तेज रफ्तार वाहन अक्सर यातायात नियमों की सीमा लांघ जाती है। यातायात नियमों का उल्लंघन ही बड़े सड़क हादसों की वजह बनती है। सड़क किनारे बने गति सीमा संकेतक, तीखे मोड़ की चेतावनी, डीपर के उपयोग का संकेतक आदि वाहन चालकों की सुरक्षा के लिए ही होते हैं। फिर सड़कों पर गाड़ी लेकर उतरने के बाद चालक इन सभी चेतावनी की अनदेखी करते हैं जो दुर्घटना का कारण बनता है। यातायात नियम के अनुपालन के तहत चालकों को ऐसे संकेतकों के द्वारा हमेशा चेतावनी दी जाती है। फिर भी लोगों पर इन चेतावनी का असर नहीं पड़ता है। सड़कों पर दौड़ने लायक ही वाहन चलाएं वाहन सड़क पर परिचालन के लायक हो तो दुर्घटना की संभावना कम होती है। अर्थात वाहन सड़क पर परिचालन के लायक हैं अथवा नहीं यह मोटरयान निरीक्षक तय करते हैं। इसके तहत हर प्रकार के वाहनों के फिटनेस के लिए अलग-अलग समय सीमा निर्धारित है। जैसे दो पहिया वाहन की खरीद के बाद उसे न्यूनतम पंद्रह वर्षों तक के लिए परिचालन के लिए सही माना जाता है। इसके बाद एक बार फिर नए सिरे से मोटरयान निरीक्षक वाहन की स्थिति एवं उसकी जांच करने के पश्चात यह तय करते हैं कि वाहन सड़क पर परिचालन के लायक है अथवा नहीं। इसी प्रकार तीन पहिया वाहन, निजी चारपहिया वाहन तथा व्यवसायिक वाहन के फिटनेस की जांच भी मोटरयान निरीक्षक के द्वारा तय की जाती है। फिर उनके अनापत्ति प्राप्त हो जाने के बाद वाहन को सड़क पर परिचालन के लायक माना जाता है। वाहनों की भार क्षमता का रखें ख्याल यातायात नियम के तहत ही वाहनों की भार क्षमता जांच भी आती है। विभिन्न प्रकार के माल ढोने वाले छोटे बड़े वाहनों की अपनी भार क्षमता होती है। इस क्षमता से ज्यादा भार लाद लेने से हमेशा वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका बनी रहती है। यह नियम माल ढोने वाले और सवारी वाहन दोनों पर लागू होता है। अक्सर एनएच व अन्य प्रमुख मार्गों पर क्षमता से अधिक भार वहन के कारण बड़े-बड़े मालवाहक वाहन दुर्घटनाग्रसत हो जाते हैं। इसी तरह सवारी गाड़ियों की छतों पर व ऊपर नीचे सवारी भर जाने से वाहन अनियंतत्रित होकर लोगों की मौत का सबब बन जाते हैं। इसलिए ओवरलोड वाहन चाहे वह दोपहिया हो, तीन पहिया हो अथवा चार पहिया वहान, वहन क्षमता से अधिक वजन लादने पर भी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। इसलिए हमेशा भार क्षमता का ख्याल रखना चाहिए। संकेतकों की जर्जर स्थिति बनती है दुर्घटना की वजह कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि प्रमुख मार्गों पर तीखे मोड़ रहने के बावजूद संकेतक नहीं रहने पर वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। वहीं कई जगह संकेतक और साइनेज लगे भी हैं तो उनकी स्थिति इतनी जर्जर हो चुकी है कि लोगों को संकेत दिखाई नहीं देते हैं। इस ओर परिवहन विभाग को ध्यान देने की जरूरत होती है। यह जिम्मेवारी पूरी तरह से यातायात व्यवस्था संभालने वाले पदाधिकारी की होती है।

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