फिर फुफकारने लगी महानंदा, नहीं मिला मुआवजा
कटिहार। वर्ष 2017 की बाढ़ की विभिषिका आज भी लोगों के जेहन में कैद है। पांच जगहों पर महानंदा तटबंध टू
कटिहार। वर्ष 2017 की बाढ़ की विभिषिका आज भी लोगों के जेहन में कैद है। पांच जगहों पर महानंदा तटबंध टूटने के कारण बाढ़ ने व्यापक तबाही मचाई थी। बाढ़ के दौरान सैकड़ों घर जमींदोज हो गए थे। इसके कारण बाढ़ प्रभावित परिवार आजतक कही तंबू टांगकर तो कही टीन के घर में गुजर बसर कर रहे हैं। लेकिन इन वर्षों में प्रभावितों के लिए अनुदान राशि का भुगतान नहीं किया जा सका है। मानसून की आहट के बाद तंबू और टीन के घर में रहना लोगों के लिए मुश्किल होगा। लेकिन किसी स्तर से उनकी पीड़ा नहीं सुनी जा रही है।
बता दें कि महानंदा तटबंध के शिवगंज के पास टूटने के बाद कदवा महादलित टोला एवं शिवगंज के पास सड़क किनारे बसे दर्जनों परिवारों का आशियाना उजर गया था। बस्ती से पांच सौ मीटर की दूरी पर आज भी लगभग दो सौ मीटर तक तटबंध क्षतिग्रस्त है। महानंदा के जलस्तर में हो रही वृद्धि के कारण एक बार फिर इन गांव के लोगों की सांसे अटकने लगी है। लेकिन तटबंध की मरम्मत और पीड़ितों के भुगतान को लेकर सकारात्मक पहल होने का अब भी इंतजार है। यद्यपि कई लोगों को पुनर्वास के लिए जमीन मुहैया कराई गई है, लेकिन गृह क्षति का मुआवजा मिलने के इंतजार में आजतक वे वहीं रह रहे हैं। कार्यालयों का चक्कर काट थक चुके पीड़ित : गृह क्षति के मुआवजा राशि का भुगतान नहीं मिलने के कारण पीड़ितों की परेशानी चरम पर है। इसको लेकर पीड़ित प्रखंड से लेकर अनुमंडल कार्यालयों का चक्कर काटकर थक चुके हैं, लेकिन उनकी समस्या यथावत बनी हुई है।
विस्थापित परिवार के मंगल राय, कैलू राय, डोमेन राय, मोती केवट आदि ने बताया कि मानसून सिर पर है। दो वर्षों से वे किसी तरह अपने परिवार के साथ तंबू टांगकर रहे रहे हैं। अबतक मुआवजा नहीं मिलने के कारण उनकी परेशानी बढ़ गई है।
क्या कहते हैं अंचलाधिकारी :
इस संबंध में अंचलाधिकारी बीरबल वरुण कुमार ने बताया कि विस्थापितों को पुनर्वास के लिए जमीन मुहैया कराई गई है। गृह क्षति की राशि का आवंटन नहीं हुआ है। आवंटन मिलने के बाद पीड़ितों का भुगतान कर दिया जाएगा।