वर्षों से जगरनाथपुर में है विलुप्तप्राय गरूड़ का बसेरा

कटिहार। विलुप्तप्राय श्रेणी के गरूड़ पक्षी का बसेरा गांव की पेड़ों पर भी दिखने लगा है। दो वर्ष पूर्व गोगाबिल झील के समीप गरूड़ पक्षी के घोंसेले देखे गए थे। अब आसपास के गांवों में भी गरूड़ को देखा जा रहा है। हसनगंज प्रखंड के जगरनाथपुर गांव में गरूड़ पक्षी ने कुछ वर्षों से अपना बसेरा बना लिया है। पक्षी विशेषज्ञ इसे शुभ संकेत मान रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 05:00 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 05:00 PM (IST)
वर्षों से जगरनाथपुर में है
विलुप्तप्राय गरूड़ का बसेरा
वर्षों से जगरनाथपुर में है विलुप्तप्राय गरूड़ का बसेरा

कटिहार। विलुप्तप्राय श्रेणी के गरूड़ पक्षी का बसेरा गांव की पेड़ों पर भी दिखने लगा है। दो वर्ष पूर्व गोगाबिल झील के समीप गरूड़ पक्षी के घोंसेले देखे गए थे। अब आसपास के गांवों में भी गरूड़ को देखा जा रहा है। हसनगंज प्रखंड के जगरनाथपुर गांव में गरूड़ पक्षी ने कुछ वर्षों से अपना बसेरा बना लिया है। पक्षी विशेषज्ञ इसे शुभ संकेत मान रहे हैं।

जगरनाथपुर गांव के काली मंदिर प्रांगण में सैकड़ों वर्ष पुराने बरगद के पेड़ पर दर्जनों बड़े गरुड़ अपना घोंसला बनाकर रह रहे हैं। आसपास काफी संख्या में जलकर रहने के कारण गरूड़ को पर्याप्त भोजन भी मिल जाता है। गांव के लोगों के साथ इसके दोस्ताना व्यवहार के कारण यहां गरूड़ का बसेरा है। स्थानीय निवासी भाजपा प्रखंड अध्यक्ष मुकेश कुमार श्रीवास्तव व अरविद कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि पेड़ पर घोंसला बनाकर रह रहे गरूड़ अपने को सुरक्षित समझते हैं। पिछले कुछ वर्षों से गरूड़ का घोंसला यहां है। गरूड़ किसानों का मित्र पक्षी भी है। विलुप्त हो रहे पक्षी के इस प्रजाति के संरक्षण की जरूरत है।

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