शिकारमाही पर प्रतिबंध लगाने के बाद साइबेरियन ग्रे के बाद दिखा रेड हेरेन

नीरज कुमार कटिहार पक्षी अभ्यारण्य के रूप में अधिसूचित जिले के मनिहारी एवं अमदाबाद प्रखंड की सीमा पर स्थित गोगाबिल झील विदेशी सैलानी पक्षियों को रिझाने में लगा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 09:58 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 10:02 PM (IST)
शिकारमाही पर प्रतिबंध लगाने के बाद
साइबेरियन ग्रे के बाद दिखा रेड हेरेन
शिकारमाही पर प्रतिबंध लगाने के बाद साइबेरियन ग्रे के बाद दिखा रेड हेरेन

कोट

गोगाबिल झील पर प्रवासी विदेशी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। नवंबर के अंतिम सप्ताह में पक्षियों की कई प्रजातियों का झुंड पहुंचना शुरू हो गया है। साइबेरियन बर्ड ग्रे हेरेन को ही अब तक देखा जाता था, लेकिन इसबार लाल शुतुरमुर्ग रेड हेरेन को भी देखा गया है। यह पक्षियों के संरक्षण को लेकर शुभ संकेत है। जाड़े में इसबार 500 से अधिक की संख्या में विदेशी सैलानी पक्षियों के पहुंचने की संभावना है।

डा. टीएन तारक, पर्यावरणविद

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नीरज कुमार, कटिहार: पक्षी अभ्यारण्य के रूप में अधिसूचित जिले के मनिहारी एवं अमदाबाद प्रखंड की सीमा पर स्थित गोगाबिल झील विदेशी सैलानी पक्षियों को रिझाने में लगा है। झील पर प्रवासी पक्षी दशकों पूर्व से यहां पहुंचते रहे हैं, लेकिन इसबार झील में मछली मारने की शिकारमाही पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए जाने से नवंबर अंतिम सप्ताह से साइबेरियन पक्षियों का कलरव सुनाई देने लगा है। शिकारमाही नहीं होने से सैलानी पक्षियों में सुरक्षा का भाव आने को पर्यावरणविद इसका मुख्य कारण बता रहे हैं। लालसर, अधींगा सहित ग्रे हेरेन प्रजाति का साइबेरियन बर्ड का पहुंचना तक पिछले वर्षों में देखा गया। इसबार रेड हेरेन साइबेरियन बर्ड भी दिख रहा है। पर्यावरणविदों ने उम्मीद जताई है कि इस साल जाड़े में 600 से अधिक संख्या में विदेशी पक्षी तीन माह के प्रवास के लिए यहां पहुंचेगी। बताते चलें कि दो वर्ष पूर्व गोगाबिल झाील को पक्षी अभ्यारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया है। वन एवं पर्यावरण विभाग को झील के सौंदर्यीकरण की जवाबदेही दी गई है। झील के विकास का पूरा खाका तैयार कर लिया गया है। हालाकि कोरोना संक्रमण और पंचायत चुनाव की सरगर्मी के कारण कोई ठोस पहल शुरू नहीं की जा सकी है। जल्द ही झील को पक्षी अभ्यारण्य के रूप में विकसित किए जाने पर काम शुरू होने की बात कही जा रही है।

पर्यावरण विशेषज्ञों के एक अनुमान के मुताबिक पिछले वर्ष 250 से 300 की संख्या में ही विदेशी पक्षी गोगाबिल झील तक पहुंचा था। झील में मछली मारने के लिए उपयोग किए जाने वाले रसायन के कारण प्रवासी पक्षियों का इस झील से मोहभंग तेजी से हो रहा था। पिछले एक दशक में हर वर्ष आने वाली सैलानी पक्षियों की संख्या घट रही थी।

218 एकड़ में फैला है गोगाबिल झील

मनिहारी व अमदाबाद की सीमा पर स्थित गोगाबिल झील 218 एकड़ में फैला हुआ है। गंगा व महानंदा नदी के छाड़न से बनी झील गोखुर आकृति की है। प्राकृ़तिक खूबसूरती के कारण झील विदेशी पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

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