पॉली हाउस तकनीक से बेमौसम खेती कर किसान हो रहे हैं आत्मनिर्भर

कटिहार। पॉली हाउस खेती की ओर किसानों का रूझान बढ़ा है। जिले के आधा दर्जन किसान बेमौस

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 05:10 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 05:10 PM (IST)
पॉली हाउस तकनीक से बेमौसम खेती कर किसान 
हो रहे हैं आत्मनिर्भर
पॉली हाउस तकनीक से बेमौसम खेती कर किसान हो रहे हैं आत्मनिर्भर

कटिहार। पॉली हाउस खेती की ओर किसानों का रूझान बढ़ा है। जिले के आधा दर्जन किसान बेमौसम खेती कर कम खर्च में ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं।

पॉली हाउस कृषि तकनीक के माध्यम से ऑफ सीजन में भी हर तरह की सब्जियों की खेती कर बेहतर उत्पादन कर ग्राहकों को सब्जी मुहैया कराया जा रहा है। यह तकनीक प्रतिकूल मौसम में भी प्रभावी साबित हुई है। सब्जियों का चुनाव पॉली हाउस संरचना पर सब्जियों की खेती पर निर्भर है। यह एक संरक्षित खेती है जिसमें ककड़ी, लौकी, शिमला मिर्च, खीरा, गोभी, टमाटर सहित अन्य सब्जियों एवं मौसमी फलों को पॉली हाउस में उगाया जाता है। अधिक मुनाफा के कारण भी किसान इस प्रकार की खेती का रुख कर रहे है।

जिले के कई किसान कर रहे बेहतर खेती

पॉली हाउस की खेती जिले के मनसाही प्रखंड के चितौरिया पंचायत के गरीघाट के किसान भूषण पटेल सहित रौतारा आदि स्थानों पर आधा दर्जन किसान कर रहे है। किसान अपने पॉली हाउस मे टमाटर, शिमला मिर्च आदि बेमौसम सब्जी की खेती कर कम खर्च मे अधिक मुनाफा कमाकर आत्मनिर्भर बन रहे हैं। किसानों ने बताया कि टमाटर के एक पौधे से 10 से 20 किलो टमाटर उत्पादन किया जा सकता है। अन्य किसान भी पॉली हाउस खेती की जानकारी प्राप्त कर इसकी खेती की ओर जागरूक हुए है। किसानों ने बताया की बिना रसायनिक खाद के जैविक विधि से सब्जी और आलू की खेती वर्षो से करते आ रहे है।

पॉली हाउस को बढ़ाना देने के लिये सरकार कई योजना चला रही है। इस योजना के तहत किसानों को 90 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। कृषि विभाग द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये भी पॉली हाउस में सब्जी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी डॉ. आरएन सिंह ने बताया की पॉली हाउस से बेमौसम खेती कर कम जोत और कम खर्च से अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस विधि से फसल में रोग लगने की संभावना नही के बराबर रहती है।

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