27 दिनों में एक दाना नहीं और चंद मिनटों में 540 क्वींटल गेहूं की खरीद

कुदरा प्रखंड में किसानों से गेहूं की सरकारी खरीद के तौर तरीके में कई असामान्य गतिविधियां देखने को मिल रही हैं जो गड़बड़ी की आशंका को बल दे रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 10:33 PM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 10:33 PM (IST)
27 दिनों में एक दाना नहीं और चंद मिनटों में 540 क्वींटल गेहूं की खरीद
27 दिनों में एक दाना नहीं और चंद मिनटों में 540 क्वींटल गेहूं की खरीद

संवाद सूत्र, कुदरा: कुदरा प्रखंड में किसानों से गेहूं की सरकारी खरीद के तौर तरीके में कई असामान्य गतिविधियां देखने को मिल रही हैं जो गड़बड़ी की आशंका को बल दे रही हैं। उदाहरण के तौर पर प्रखंड की खरहना पंचायत के पैक्स ने इस वर्ष 18 मई से 13 जून तक 27 दिनों तक किसानों से छटांक भर भी गेहूं की खरीद नहीं की। इस अवधि में उसका गेहूं अधिप्राप्ति का आंकड़ा शून्य है। लेकिन सोमवार 14 जून को दिन के 11:00 भी नहीं बजे थे कि उसके द्वारा उस दिन उस समय तक आधा दर्जन लोगों से 540 क्वींटल गेहूं की खरीद का आंकड़ा सहकारिता विभाग के पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाने लगा। देखने वाले हैरान थे कि सुबह में कार्यालय खुलने के समय के चंद मिनटों के अंदर ही गेहूं की इतनी बड़ी मात्रा की इतनी तेजी से खरीद किस प्रकार कर ली गई। लोगों का कहना है कि जो पैक्स 27 दिनों की लंबी अवधि में एक भी किसान से गेहूं का एक दाना तक नहीं खरीद सका उसने चंद मिनटों के अंदर ही 540 क्वींटल गेहूं आधा दर्जन किसानों से किस जादू की छड़ी से खरीद ली। लोगों ने धांधली की आशंका जताते हुए कहा है कि पूरे प्रखंड में सहकारिता विभाग के तहत यही खेल चल रहा है। कुदरा के बीडीसी सदस्य व किसान आनंद कुमार सिंह व मिथिलेश कुमार सिंह कहते हैं कि प्रखंड में सहकारिता विभाग के द्वारा किसानों से अनाज की खरीद के नाम पर लूट मची हुई है। सही में अनाज का उत्पादन करने वाले किसानों से खरीद न कर उन व्यापारियों से खरीदा जाता है जिन्हें किसान खून पसीने बहा कर तैयार की गई उपज औने पौने दाम पर बेचने को विवश होते हैं। यह सारा खेल कुछ किसानों की ही रसीद और उनके बैंक खाते का इस्तेमाल करते हुए खेला जाता है जो चंद पैसे की लालच में इसके लिए तैयार हो जाते हैं। यदि प्रशासन सही तरीके से जांच करे तो पूरा मामला उजागर हो सकता है। बता दें कि कुदरा प्रखंड में तीन प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी कार्यरत हैं। स्थानीय प्रखंड कार्यालय परिसर में मौजूद सहकारिता विभाग के जिन भवनों में पूर्व में प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी का कार्यालय हुआ करता था अब वे उपेक्षा से खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। इसलिए अब कुदरा प्रखंड मुख्यालय में मौजूद व्यापार मंडल के भवन को प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी अपने कार्यालय के रूप में इस्तेमाल करते हैं। लेकिन किसानों का कहना है कि व्यापार मंडल में भी आम किसानों से खरीद न कर कुछ गिने-चुने लोगों से ही खरीद हो रही है। सहकारिता विभाग के स्थानीय अधिकारियों से शिकायत करने पर भी किसानों को कोई राहत नहीं मिलती।

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