प्रशासनिक उपेक्षा से प्रखंड मुख्यालय का तालाब बदहाल

मोहनियां। भूगर्भ का जलस्तर तेजी से खिसक रहा है। गर्मी शुरू होते ही लोग पेयजल संकट से जूझने लगते हैं। इसके बाद भी जल संरक्षण पर किसी का ध्यान नहीं है। अतिक्रमण व बदहाली के कारण प्राचीन धरोहरों का अस्तित्व खतरे में है। तालाब बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Jul 2021 11:31 PM (IST) Updated:Thu, 15 Jul 2021 11:31 PM (IST)
प्रशासनिक उपेक्षा से प्रखंड मुख्यालय का तालाब बदहाल
प्रशासनिक उपेक्षा से प्रखंड मुख्यालय का तालाब बदहाल

मोहनियां। भूगर्भ का जलस्तर तेजी से खिसक रहा है। गर्मी शुरू होते ही लोग पेयजल संकट से जूझने लगते हैं। इसके बाद भी जल संरक्षण पर किसी का ध्यान नहीं है। अतिक्रमण व बदहाली के कारण प्राचीन धरोहरों का अस्तित्व खतरे में है। तालाब बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। जहां प्रखंड मुख्यालय का प्राचीन तालाब ही प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो वहां ग्रामीण क्षेत्रों के तालाब की क्या हालत होगी इसका अंदाज लगाया जा सकता है। तालाब की जमीन पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। कटाव से तालाब के अस्तित्व पर संकट है। सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय ने तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराने के आदेश के बावजूद प्रशासन इस पर अमल नहीं कर रहा है। जिससे यह समस्या गंभीर होती जा रही है। प्रखंड मुख्यालय स्थित शारदा ब्रजराज उच्च विद्यालय तालाब का अस्तित्व आज खतरे में है। स्टेशन रोड में संकटमोचन मंदिर से सटे इस तालाब के प्रति लोगों के अंदर काफी आस्था है। छठ के मौके पर इस तालाब का महत्व देखते ही बनता है। नगर का यह पुराना तालाब आज उपेक्षा का दंश झेल रहा है। तालाब में पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। पानी गंदा होने के बाद इसके निकासी के तरफ भी किसी का ध्यान नहीं है। नगर पंचायत के गठन के नौ वर्षों बाद भी इस तालाब के रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पांच वर्ष पूर्व इस तालाब की नगर पंचायत द्वारा खोदाई हुई थी। इसके बाद पश्चिम दिशा में घाट का निर्माण हुआ था। अभी भी तीन दिशा में तालाब में घाट नहीं बना है। जहां तहां मवेशियों के उतरने से तालाब का कटाव जारी है। तालाब के पश्चिम और पूर्व दिशा के पिड पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। अतिक्रमणकारी पक्का मकान बनाकर तालाब की जमीन पर कब्जा किए हुए हैं। इसको देखने के बावजूद प्रशासन अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझता। जबकि तीन वर्ष पूर्व छठ व्रत के एक दिन पूर्व कैमूर के तत्कालीन डीएम राजेश्वर प्रसाद सिंह इस तालाब घाट पर विधि व्यवस्था का जायजा लेने पहुंचे थे। तब उन्होंने तालाब को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए सीओ को निर्देश दिया था। डीएम के निर्देश के बावजूद अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हुई। आज भी इस तालाब में सैकड़ों लोग स्नान करते हैं। कपड़ा धुलाई होती है। जल निकासी नहीं होने के कारण तालाब का पानी गंदा हो जाता है। जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। तालाब के चारों तरफ इतनी जमीन है की अगर उस पर पौधारोपण कर दिया जाए तो यह जिला का खूबसूरत तालाब बन जाएगा। आज तक तालाब के पिड पर एक भी वृक्ष नहीं लगाए गए हैं। तालाब में गंदगी का अंबार है। जिसका मन करता है तालाब में गंदगी फेंक कर चला जाता है। तालाब के सौंदर्यीकरण की लंबे समय से योजना बन रही है। जिसमें तालाब के चारों तरफ पक्का घाट बनाने के साथ पार्क व सड़क निर्माण व जगह जगह बैठने की व्यवस्था होगी। अगर ऐसा होता है तो नगर के इस प्राचीन तालाब का कायाकल्प हो जाएगा।

कहते हैं सीओ-

इस संबंध में मोहनियां के सीओ राजीव कुमार ने बताया की तालाबों को अतिक्रमणमुक्त कराने का कार्य चल रहा है। नगर पंचायत में अवस्थित इस तालाब की जमीन पर अवैध रूप से बने मकानों को हटाया जाएगा। इसको प्राथमिकता दी जाएगी।

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