नदी व सरोवरों पर छठ घाट बना रहे लोग

रामगढ़ प्रकाश के देवता सूर्य को भारतीय जनमानस में समृद्धि के साथ साथ यश के देवता के रूप में भी प्रतिष्ठा प्राप्त है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 03 Nov 2021 10:18 PM (IST) Updated:Wed, 03 Nov 2021 10:18 PM (IST)
नदी व सरोवरों पर छठ घाट बना रहे लोग
नदी व सरोवरों पर छठ घाट बना रहे लोग

रामगढ़ : प्रकाश के देवता सूर्य को भारतीय जनमानस में समृद्धि के साथ साथ यश के देवता के रूप में भी प्रतिष्ठा प्राप्त है। यही कारण है कि बिहार के औरंगाबाद जिला के देव में जहां ऐतिहासिक सूर्य मंदिर स्थित है, वहीं छठ व्रत की शुरुआत हुई और देखते - देखते संपूर्ण उत्तर भारत में एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में प्रसिद्ध प्राप्त किया। जिसमें स्त्री पुरुष दोनों कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को संध्या काल और सप्तमी को प्रात: काल सूर्य को अ‌र्घ्य देकर पूजन के साथ व्रत की पूर्णाहुति होती है। ऐसी भव्यता है कि छठ व्रत धारण करने से प्रसिद्धि, समृद्धि तथा यश को प्राप्त करने वाली कोई भी मनौती पूर्ण होती है। हिदू धर्म के इस पवित्र व्रत की महत्ता का अंदाजा इस बात से जा सकता है कि छठ व्रत से 15 दिन पूर्व ही नारियल, सेव, नारंगी, केला, ईख, महावर इत्यादि फल और पूजा सामग्री से रामगढ़ बाजार पट जाता है। इस अवसर पर दुकानदार दुकानों को सुरुचि पर्व ढंग से सजाते हैं तथा छठ व्रत के लोकप्रिय गीतों से पूरा बाजार गुंजायमान रहा है। महत्वपूर्ण घाटों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर स्थानीय अधिकारी अपनी कमर कस कर अपने कर्तव्यों को अमली जामा पहनाने में लगे रहते है। वहीं रामगढ़ बाजार से कुछ दूर दक्षिण में अवस्थित दुर्गावती नदी का घाट व सूर्य सरोवर गोड़सरा का घाट भी एक महत्वपूर्ण माना जाता है। जहां रामगढ़ बंदीपुर, गोड़सरा, पनसेरवां, भटौली, भीरखीरा, डहरक आदि दर्जनों भर गांव के स्त्री पुरुष इकट्ठा होकर छठ व्रत का आयोजन करते हैं। प्रत्येक वर्ष 15 दिन पूर्व से ही प्रशासनिक अधिकारी घाटों की साफ सफाई रोशनी तथा सुरक्षा के लिए अपनी कमर कसे रहते थे। लेकिन अब छठ व्रत मात्र छह दिन शेष रह गया है और प्रशासन के द्वारा अभी कोई व्यवस्था नहीं होने से छठ व्रतियों में घोर निराशा का का भाव देखा जा रहा है। गोड़सरा सूर्य सरोवर पर सामाजिक कार्यकर्ताओ ने पानी को स्वच्छ व सफाई का कार्य करने में तत्पर रहे।

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