मां सती पूरा करती हैं श्रद्धालुओं की मुरादें

कैमूर। नवरात्र में मोहनियां स्थित सती मां के मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रशासनिक निर्देश पर मंदिर को बंद कर दिया गया है। जिससे यहां आने वाले भक्तों को निराशा हाथ लग रही है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 11:33 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 11:33 PM (IST)
मां सती पूरा करती हैं श्रद्धालुओं की मुरादें
मां सती पूरा करती हैं श्रद्धालुओं की मुरादें

कैमूर। नवरात्र में मोहनियां स्थित सती मां के मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रशासनिक निर्देश पर मंदिर को बंद कर दिया गया है। जिससे यहां आने वाले भक्तों को निराशा हाथ लग रही है। इसके बावजूद भक्त मुख्य दरवाजे पर ही मत्था टेक कर मां को नमन कर रहे हैं। नवरात्र में श्रद्धालुओं की भीड़ से मंदिर गुलजार रहता है। मां के दरबार में आने वालों की मुरादें पुरी होती हैं। ऐसी मान्यता है की यहां आने वाला खाली हाथ नहीं लौटता।

भभुआ रोड स्टेशन के बगल में अवस्थित है सती मां का मंदिर-

पंडित दीनदयाल उपाध्याय-गया रेलखंड पर अवस्थित भभुआ रोड स्टेशन से सटे सती मां का मंदिर है। जिला से ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों से भी यहां श्रद्धालु आकर मां को श्रद्धा निवेदित कर अपने को धन्य समझते हैं। झंझावातों से त्रस्त लोगों को मां के दरबार में अद्भुत शांति का एहसास होता है।

क्या है मंदिर का इतिहास -

करीब 86 वर्ष पूर्व भभुआ रोड स्टेशन के बगल में सती मां के मंदिर के निर्माण की नींव पड़ी थी। मां सती बैसवाड़ा राजस्थान की वंशज हैं। ग्राम सिघौली जिला बस्ती उत्तर प्रदेश में इस वंश के लोग रहते हैं। जो बैसगढ़ बाहर क्षत्रिय कहलाते हैं। राजा तिलक चंडी की पहली पत्नी के संतान दुर्गावती नदी के तट पर प्रथम कोट एवं मोहनियां में दूसरे कोट का निर्माण किए थे। 1780-90 के मध्य एक मुस्लिम राजा के युद्ध के दौरान उक्त वंश के कोलाहल सिंह वीरगति को प्राप्त हुए थे। उन्हीं की ये पत्नी थीं। पति की मौत की खबर मिलते ही वे पूरे श्रृंगार के साथ अपने महल से बाहर निकलीं। श्मशान घाट पर पति के साथ एक ही चिता पर सती हो गई।

वर्ष 1935 में यहां शुरू हुआ मंदिर निर्माण का कार्य-

सती होने के बहुत दिनों बाद वर्ष 1935 में उसी गांव के बेचू चौबे के पुत्र भरदुल चौबे का सती मां की तरफ आकर्षण हुआ। वे अपने कुछ सहयोगियों के साथ चिता स्थल पर लगी झाड़ियों की सफाई किए। इसके बाद मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ। इस दौरान उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा।

रेल प्रशासन ने दर्ज कराया था मुकदमा-

उक्त स्थल को रेलवे की जमीन बताकर रेल प्रशासन ने मंदिर निर्माण कार्य रोकवा दिया। इसके बाद भरदुल चौबे के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा दर्ज करा दिया। मां सती की कृपा से भरदुल चौबे मुकदमा जीत गए। उनके पक्ष में न्यायालय का आदेश आने के बाद मंदिर निर्माण कार्य पूरा हुआ। इस दौरान श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर था। लोग हर हाल में मंदिर का निर्माण करना चाहते थे। सबके सहयोग कार्य पूर्ण हुआ। यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगने लगी। मां ने असंख्य लोगों की मनोकामना पूरी की। भक्त आस्था के साथ यहां आकर मत्था टेकते हैं।

वर्ष में एक बार होता है सती मां का श्रृंगार महोत्सव-

वर्ष में एक बार सती मां का दो दिवसीय श्रृंगार महोत्सव होता है। मंदिर के वर्तमान पुजारी कन्हैया चौबे ने बताया की हर वर्ष पौष कृष्ण पक्ष एकादशी व द्वादशी को मंदिर परिसर में श्रृंगार महोत्सव होता है। जिसमें अंतराष्ट्रीय स्तर के कलाकार मां के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। यहां सेवा देकर वे अपने को धन्य मानते हैं। कैमूर प्रशासन का इस सिद्ध पीठ पर ध्यान नहीं है। जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। प्रशासन का अगर ध्यान हो जाए तो यह स्थान जिला के धार्मिक व दर्शनीय स्थलों में शुमार हो जाएगा। श्रद्धालुओं के सहयोग से मंदिर की चहारदीवारी कराकर सुंदर बनाया गया है। पूरब तरफ शिव मंदिर बना है। मंदिर परिसर में शीतल पेयजल की व्यवस्था की गई है।

कैसे पहुंचे मंदिर-

मोहनियां बस पड़ाव से उत्तर डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर सती मां का मंदिर अवस्थित है। जहां से ई रिक्शा, रिक्शा से मंदिर पहुंचा जा सकता है। रेल मार्ग से यहां पहुंचना आसान है। स्टेशन पर उतरते ही मंदिर दिखाई देता है।

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