शादी विवाह के आयोजन में बालश्रम कराने वालों पर लगेगा जुर्माना

पेज तीन - - अधिकतम 50 हजार तक का जुर्माना लगा कराई जाएगी प्राथमिकी - जिले में अभियान चलाकर रात में भी होगी छापेमारी जासं भभुआ जिला मुख्यालय भभुआ नगर सहित सभी प्रखंडों में स्थित दुकानों व अन्य प्रतिष्ठानों में बालश्रम कराने वालों पर लगातार अभियान चलाया जा रहा है। श्रम विभाग द्वारा बाल श्रम के विरुद्ध अभियान चलाने से अब तक लगभग दो

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Nov 2019 05:00 PM (IST) Updated:Thu, 21 Nov 2019 05:00 PM (IST)
शादी विवाह के आयोजन में बालश्रम कराने वालों पर लगेगा जुर्माना
शादी विवाह के आयोजन में बालश्रम कराने वालों पर लगेगा जुर्माना

जिला मुख्यालय भभुआ नगर सहित सभी प्रखंडों में स्थित दुकानों व अन्य प्रतिष्ठानों में बालश्रम कराने वालों के विरूद्ध लगातार अभियान चलाया जा रहा है। श्रम विभाग द्वारा बाल श्रम के विरुद्ध अभियान चलाने से अब तक लगभग दो दर्जन से अधिक बाल श्रमिक मुक्त भी कराए जा चुके हैं। लेकिन अब दुकानों व प्रतिष्ठानों के अलावा शादी विवाह के आयोजन में भी बाल श्रमिकों से काम कराया जा रहा है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए श्रम विभाग ने अब शादी विवाह के आयोजनों के दौरान छापेमारी अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इसमें यदि किसी शादी विवाह के आयोजन में बाल श्रमिकों से कार्य कराते पकड़ा जाता है तो संबंधित व्यक्ति पर जुर्माना लगाते हुए उसके विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। श्रम अधीक्षक रोहित कुमार ने बताया कि शादी विवाह के आयोजन में बाल श्रम कराते पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति पर अधिकतम 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि शादी विवाह के आयोजन में बाल श्रम को रोकने के लिए रात में भी छापेमारी की जाएगी। उन्होंने बताया कि अब तक लगभग दो दर्जन से अधिक बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया है।उन्होंने कहा कि उन सभी अभिभावकों, आयोजकों या संचालकों को सख्ती से देखना चाहिए कि उनके कार्यक्रम में कहीं भी बाल या किशोर श्रमिक को उनके वेंडर, बैंड वाले, बिजली वाले, टेंट पंडाल या कोई अन्य सेवा प्रदाता संस्था द्वारा परोक्ष या अपरोक्ष रूप से बाल श्रमिकों को नियोजित नहीं करें। अगर उनके द्वारा इस पर अमल नहीं किया जाता है तो वह कानून के अंतर्गत दंड के भागी होंगे। उनके साथ साथ अन्य सभी भी न्यायालय के चक्कर लगाने को बाध्य होंगे।बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने बाल श्रम को अपराध घोषित किया है। कोई भी व्यक्ति अथवा संस्थान संचालक द्वारा अगर इसका उल्लंघन किया जाता है तो उसे दो वर्ष तक का कारावास या 50 हजार का जुर्माना लगाया जा सकता है। न्यायालय की अवहेलना के लिए अलग से 20 हजार जिला बाल मजदूर पुनर्वास कल्याण कोष में जमा करना होगा। ऐसा नहीं करने पर नीलाम वाद दायर कर वसूली किए जाने का भी प्रावधान है। यही नहीं अलग से न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के अंतर्गत मजदूरी का भुगतान भी करना पड़ता है। ऐसा नहीं करने पर 10 गुणा मुआवजा के साथ सक्षम न्यायालय में वाद दायर करने का प्रावधान है।

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