महिला व पुरूषों ने रखा निर्जला एकादशी का व्रत

मंगलवार को निर्जला एकादशी रहा। निर्जला एकादशी काफी महत्वपूर्ण पर्व है। इसको लेकर लोगों क

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Jun 2020 04:43 PM (IST) Updated:Tue, 02 Jun 2020 04:43 PM (IST)
महिला व पुरूषों ने रखा निर्जला एकादशी का व्रत
महिला व पुरूषों ने रखा निर्जला एकादशी का व्रत

मंगलवार को निर्जला एकादशी रहा। निर्जला एकादशी काफी महत्वपूर्ण पर्व है। इसको लेकर लोगों की आस्था इस एकादशी में कुछ अधिक ही रहती है। इसको लेकर मंगलवार को जिले के लोगों में एक अलग तरह का उत्साह व श्रद्धा देखने को मिली। भले ही लोग घरों से बाहर नहीं निकले लेकिन घरों में रह कर ही पूरे विधि विधान से इस निर्जना एकादशी का व्रत रखा। अधिसंख्य महिला व पुरुष घरों में ही गंगा जल पानी में डाल कर स्नान किए। इसके बाद मंदिरों में दान किए। ग्रामीण क्षेत्र में तालाब में गंगा जल कुछ बूंदें डालकर स्नान किया। लॉकडाउन में कुछ छूट देने के बाद कुछ लोग वाराणसी और बक्सर अपने निजी गाड़ियों से गंगा स्नान के लिए चले गए। वहीं पूरी रात रह कर निर्जला एकादशी के दिन भी गंगा नदी में स्नान करके और दान करके वापस आए। इस दिन स्नान दान करके दान पुण्य किया गया। जबकि इस दिन बिना जल ग्रहण किए भी लोग ही लोग रहते हैं। इस दिन महिलाएं स्नान दान करने के बाद लोगों को सुराही, घड़े, हाथ से चलने वाले पंखे, नारियल खजूर के पत्तों से बने पंखे, फल, खरबूजा, तरबूज, ककड़ी आदि शीतल चीजें जरूरतमंदों को दान की। इस व्रत को भीमसेन एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि पांच पांडवों में एक भीमसेन ने इस व्रत का पालन किया था और वैकुंठ को गए थे। इसलिए इसका नाम भीमसेनी एकादशी भी हुआ। सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत कर लेने से अधिकमास की दो एकादशियों सहित साल की 25 एकादशी व्रत का फल मिलता है। जहां साल भर की अन्य एकादशी व्रत में आहार संयम का महत्व है। वहीं निर्जला एकादशी के दिन आहार के साथ ही जल का संयम भी •ारूरी है। कई लोगों ने गांव के पोखर में स्नान पूजन की। इस दिन भगवान विष्णु का भी पूजा किया गया। कई लोगों ने तो निर्जला रह कर व्रत पुरा किया तो कई लोगों ने फलाहार व्रत किया।

chat bot
आपका साथी