बाजार में हो रही भीड़, लोगों पर पर सकती है भारी
जिला मुख्यालय भभुआ या अन्य प्रखंडों में भले ही लॉकडाउन का असर दिख रहा होगा।
कैमूर। जिला मुख्यालय भभुआ या अन्य प्रखंडों में भले ही लॉकडाउन का असर दिख रहा होगा। लेकिन रामगढ़ में लॉकडाउन मजाक बनकर रह गया है। जिस कारण बाजार में उमड़ रही भीड़ कोरोना संक्रमण को बढ़ाने का खतरा बढ़ा रही है। रामगढ़ बाजार का आलम यह है कि सुबह छह बजे से 10 बजे तक बनारस में पहले वाला गोदवलिया जैसा नजारा देखा जा सकता है। लोगों की भीड़ व वाहनों की कतार बाजार के प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोल रहा है। जबकि सरकार के गाइडलाइन के अनुसार केवल किराना व सब्जी की दुकानें खोलनी है। फिर भी इतनी भीड़ आखिर बाजार में क्यों पहुंच रही है। यह जवाब शायद पुलिस प्रशासन के लोगों के पास भी नहीं है। यह भीड़ कोरोना संक्रमण को दावत दे रही है। इस भीड़ में आधे से अधिक लोग मास्क भी नहीं लगाते। कुछ लगा भी रहे हैं तो वे संक्रमण से बचने के लिए नहीं बल्कि पुलिस प्रशासन की जांच के डर से। वे भी नाक मुंह को ढकने की बजाय दाढ़ी के पास लगा रहे हैं। बाजार के सब्जी दुकानदार हो या अन्य खुलने वाली दुकान अधिकतर दुकानों पर कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा है। पुलिस प्रशासन के लोग 10 बजे के बाद दुकान केवल बंद कराने के उद्देश्य से निकलते हैं। उसके बाद ही वाहनों की जांच थाने पर की जाती है। जबकि सच्चाई यह है कि अन्य सभी दुकानदार जिनकी दुकानें गाइडलाइन के अनुसार खुलनी नहीं है वे भी आकर अपना सामान पिछले दरवाजे से बेचते हैं। गाड़ियों में उसी तरह लोगों की भीड़ बगैर मास्क के आ जा रही है। इससे अधिक बाजार में भीड़ तो सामान्य स्थिति में भी नहीं होती थी। जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि यहां या तो लोग कोरोना को कुछ मान ही रहे हैं या फिर जानबूझकर खतरा मोल रहे हैं ।
आइएमए के जिलाध्यक्ष डॉ संतोष कुमार सिंह ने कहा कि बिहार में आंशिक लॉकडाउन की जरूरत नहीं है। यहां संपूर्ण लॉकडाउन की आवश्यकता थी। लेकिन सरकार की गलत नीति से यह स्थिति बाजार में उत्पन्न हो रही है। उन्होंने माना कि इतनी भीड़ तो पहले भी बाजार में नहीं होती थी।