कैमूर के रामगढ़ रेफरल अस्पताल में बच्चों को नहीं होता इलाज
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच नव जनित बीमारियों के बच्चों में फैलने की आशंका के प्रति स्वास्थ्य विभाग भले ही हलकान है लेकिन अभिभावकों में इसकी चिता दिख रही है।
कैमूर : कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच नव जनित बीमारियों के बच्चों में फैलने की आशंका के प्रति स्वास्थ्य विभाग भले ही हलकान है लेकिन अभिभावकों में इसकी चिता दिख रही है। राज्य में 3 से 8 वर्ष के बच्चों में वायरल बुखार के साथ इंसेफ्लाइटिस व स्वाइन फ्लू जैसी खतरनाक संक्रामक बीमारी अपना पांव पसार रही है। जिले से लेकर प्रखंड क्षेत्र के सभी जगहों पर बच्चों के बीच वायरल बुखार के तेजी से बढ़ रहे प्रकोप से लोग चितित हैं। लेकिन सरकारी अस्पतालों में इन बच्चों के इलाज व देखभाल जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। जिले का सबसे सुंदर रेफरल अस्पताल रामगढ़ में एनबीएसयू इकाई वर्षों से ठप है। इस एनबीएसयू में बच्चों को आक्सीजन देने की व्यवस्था होती है। लेकिन यह जन्म शिशु स्थिरीकरण इकाई के कार्य नहीं करने से यह शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। अब रेफरल अस्पताल में बच्चों को रेफर करना ही काम रह गया है। इन खतरनाक नवजनित बीमारियों को लेकर स्वास्थ्य विभाग एक तरह से तैयार नहीं है। जो लोग अपने बच्चों को लेकर रेफरल अस्पताल पहुंच रहे हैं उन्हें इलाज करने का कार्य शुरू करने से बेहतर होता है बच्चों को रेफर करना। यह है रामगढ़ के राममनोहर लोहिया रेफरल अस्पताल की पहचान। न तो कोई महिला चिकित्सक और न ही कोई विशेषज्ञ चिकित्सक हैं। ऐसे में में उनकी भी मजबूरी है कि खतरा मोल लेने से बेहतर है बच्चों को रेफर कर देना। अस्पताल में आक्सीजन प्लांट आकर क्या करेगा जब इसके लिए अलग से वार्ड तैयार नहीं होंगे। इस अस्पताल में बच्चों के लिए कोई वार्ड भी नहीं है। वायरल फीवर वाले आ रहे बच्चों को बेहतर इलाज के लिए बाहर रेफर कर दिया जाता है। जो यह दर्शाता है कि सरकार की तैयारी हर जगह पूर्ण नहीं है। संयमित खान पान व बच्चों के देखभाल से संबंधित सुझाव व परामर्श दिए जा रहे हैं।
रोगों से बचने के लिए उपाय
उबला हुआ पानी का सेवन करें
-गर्म खाना खाएं, ढ़का हुआ भोजन ही बच्चों को दें, फास्ट फूड से दूर रखे। ओआरएस का घोल समय समय पर दें तथा अपने भी लेते रहें। अक्टूबर तक संक्रमण का महीना चलता है। इससे बचने के लिए बच्चों को घर में सुरक्षित रख सकते हैं।
वर्जन
अस्पताल में बच्चों के भर्ती व इलाज से संबंधित कोई व्यवस्था नहीं है। कोई बच्चा का डाक्टर यहां नहीं है। ऐसे में यहां बच्चों का इलाज कैसे होगा। इस लिहाज से बच्चों का कोई वार्ड नहीं बनाया गया है। एनबीएसयू की इकाई ठप है। इसलिए जो भी बच्चे आ रहे हैं उन्हें रेफर कर दिया जा रहा है। दवा देकर भेज दिया जाता है।
- डा. नूर आलम, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी -