कैमूर में स्थापना के 28 वर्ष बाद भी प्रखंड कार्यालय को नहीं मिली अपनी भूमि
दूरदराज के लोगों को राहत पहुंचाने और प्रशासन द्वारा क्षेत्र पर बेहतर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से आज से लगभग 28 वर्ष पूर्व 1992 ई. में रामगढ़ प्रखंड के कुछ क्षेत्रों को काटकर नुआंव प्रखंड की स्थापना की गई थी ।
कैमूर : दूरदराज के लोगों को राहत पहुंचाने और प्रशासन द्वारा क्षेत्र पर बेहतर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से आज से लगभग 28 वर्ष पूर्व 1992 ई. में रामगढ़ प्रखंड के कुछ क्षेत्रों को काटकर नुआंव प्रखंड की स्थापना की गई थी । लेकिन स्थापना के बाद आज तक प्रखंड कार्यालय को निजी भूमि नहीं मिल पाई। वह तो भला हो सिचाई विभाग का जिसने अपनी जमीन देकर प्रखंड के सभी विभागों को आज तक आश्रय प्रदान कर रहा है। इसी सिचाई विभाग की जमीन पर प्रखंड कार्यालय और कई अन्य विभागों के समय समय पर भवन भी बना दिए गए। 2007 में जब सहायक थाना की यहां स्थापना हुई तो उसका भी भवन सिचाई विभाग की जमीन पर हीं बना। भूमिहीन लोगों को भूमि उपलब्ध कराने वाला अंचल कार्यालय खुद हीं भूमिहीन है। यह कार्यालय जहां चल रहा है वहां कभी कृत्रिम पशु गर्भाधान केंद्र हुआ करता था। शिक्षा विभाग का बीआरसी भवन भी इसी सिचाई विभाग की भूमि पर बना है। इतने के बाद भी अभी भी प्रखंड कार्यालय को कई भवनों की आवश्यकता है। कृषि विभाग के भवन से ही कई विभागों के कार्य संपादित होते हैं। कुछ विभागों के प्रमुखों के पास अपना निजी कक्ष तक नहीं है। जिसमे प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी, सांख्यिकी पदाधिकारी आदि शामिल हैं। इनके कार्यालय के कार्यों को जैसे-तैसे संपादित करते हैं। क्योंकि उनका अपना कोई कक्ष है हीं नहीं। कृषि विभाग के भवन में ही एक छोटा सा कमरा निर्वाचन विभाग को दे दिया गया है। ऐसी बात नहीं है कि प्रखंड कार्यालय की भूमि के लिए पहल नहीं की गई है। अभी कुछ हीं समय पहले भूमि के लिए जमीन अधिगृहित करने की बात चली थी। दो जगह जमीन भी देखी गई थी। एक गारा भोगनपुर रास्ते पर तथा दूसरा पजराव के पास। लेकिन तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी द्वारा दूरी का हवाला देकर इसे अस्वीकृत कर दिया गया और उस समय के बीडीओ मनोज कुमार को यहीं आसपास ही जमीन तलाशने को कहा गया। लेकिन आज तक तलाश पूरी नहीं हुई।