आजादी के बाद अब तक रामगढ़ के वनवासी टोला में नहीं पहुंची विकास की किरण

प्रखंड क्षेत्र के रामगढ़ पंचायत के वार्ड संख्या दो में लगभग 75 घरों की बस्ती है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Nov 2018 02:26 AM (IST) Updated:Fri, 16 Nov 2018 02:26 AM (IST)
आजादी के बाद अब तक रामगढ़ के वनवासी टोला में नहीं पहुंची विकास की किरण
आजादी के बाद अब तक रामगढ़ के वनवासी टोला में नहीं पहुंची विकास की किरण

प्रखंड क्षेत्र के रामगढ़ पंचायत के वार्ड संख्या दो में लगभग 75 घरों की बस्ती है। जिसमें अजा समाज और वनवासी दोनों रहते हैं। वनवासियों का लगभग 25 घर थोड़ी दूरी पर है और आज तक यहां सुविधाओं का अभाव है। न बनवासी टोला में जाने के लिए पक्की सड़क है ना नाली का निर्माण, ना पीने की पानी की व्यवस्था है, ना ही बस्ती तक बिजली के खंभे आज तक लगवाए गए हैं। कुछ वनवासियों के द्वारा बांस के सहारे बिजली अपने घरों तक लाई गई है। जिससे कुछ घरों में रोशनी है अन्यथा बाकी के घरों में लालटेन के सहारे ही प्रकाश होता है।

किसी ग्रामीण को नहीं मिलता पेंशन

वार्ड संख्या दो के बनवासी बस्ती में लगभग 250 लोगों की जनसंख्या है। जिसमें 50 से ज्यादा वृद्ध हैं। चार दिव्यांग भी हैं। लेकिन इनमें से किसी को भी पेंशन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। गांव के बच्चों को पढ़ने की कोई सुविधा नहीं है। गांव में तीन हैंडपंप है। जिसमें दो खराब है। मात्र एक हैंडपंप से हम सभी पानी भरते हैं।

आंगनबाड़ी केंद्र है दूर, नहीं जाते बच्चे

इस टोला में एक स्कूल नहीं है। एक आंगनवाड़ी केंद्र है। लेकिन वह वार्ड संख्या 3 में है। जो काफी दूरी पर है। जिस कारण बच्चे केंद्र पर नहीं जा पाते हैं। पूरे वनवासी टोला में एक भी व्यक्ति पढ़ा लिखा नहीं है। अब गांव के लोग अपने बच्चों को पढ़ाने का प्रयास भी करते हैं तो गांव में कोई व्यवस्था नहीं है। गांव के लोगों को राशन किरासन भी समय पर नहीं मिलता।

प्रखंड के ओडीएफ की हकीकत: बनवासी टोला में एक भी शौचालय नहीं

रामगढ़ पंचायत के वार्ड संख्या दो वनवासी टोला में किसी घर में शौचालय का निर्माण नहीं है। सभी लोग खुले में शौच जाते हैं। जबकि प्रखंड ओडीएफ से पहले वर्ष 2017 में सर्वप्रथम रामगढ़ पंचायत को ही तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी सत्येंद्र पराशर के समय पंचायत को ओडीएफ घोषित किया गया था। जबकि हकीकत यह है कि पूरे रामगढ़ पंचायत में 60 फीसद से ज्यादा लोग आज भी खुले में शौच जाते हैं।

सड़क का नहीं हुआ निर्माण

बनवासी टोला तक आजादी के 71 वर्ष बाद भी पक्की सड़क का निर्माण नहीं कराया गया। जबकि मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत नल जल गली नाली आदि का निर्माण वरीयता के साथ सर्व प्रथम अजा बस्तियों में ही करवाना है। लेकिन इस मामले में भी पंचायत के मुखिया के द्वारा भेदभाव किया गया।

रोजगार गारंटी योजना के तहत भी नहीं है किसी का नाम पंजीकृत

रोजगार गारंटी योजना के तहत पूरे बनवासी टोला के एक भी व्यक्ति चाहे महिला हो या पुरुष किसी का भी नाम पंजीकृत नहीं है। सभी बनवासी जंगल से लकड़ी चुनकर लाते हैं बेचते हैं या आसपास के लोगों के यहां मजदूरी करके अपना भरण पोषण करते हैं।

आसपास के क्षेत्र में मजदूरी ना मिलने पर लोग उपवास करते हैं।

क्या कहते हैं लोग -

फोटो नंबर- 16

कमला राजभर - आज तक गांव में पक्की सड़क नहीं बनी। जिसके चलते गांव के लोग आज भी पगडंडियों के सहारे ही आते जाते हैं। गांव में किसी की तबीयत खराब होने पर खाट का ही सहारा है। कोई चार चक्का वाहन तो दूर दो पहिया वाहन भी नहीं पहुंच सकता।

फोटो नंबर- 17

सविता देवी - गांव में कोई सुविधा नहीं है। यहां तक की सरकार के स्तर से मिलने वाले लाभ में भी धांधली की जा रही है। कभी राशन मिलता है तो कभी नहीं मिलता। गांव में स्कूल नहीं है कि बच्चे पढ़ाई करें। आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं है।

फोटो नंबर- 18

संजू देवी - गांव में बिजली नहीं पहुंच सकी। नाली-गली का निर्माण नहीं कराया गया। आंगनबाड़ी केंद्र भी है तो दूसरे वार्ड में। गांव में शिक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। चापाकल है तो दो खराब है। जिला प्रशासन भी गांव के विकास के लिए नहीं सोच रहा। पूरा प्रखंड ओडीएफ हो गया लेकिन गांव में एक घर में भी शौचालय नहीं है।

क्या कहते हैं बीडीओ -

इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि अगर गांव की समस्याओं की जानकारी ले कर इसकी जानकारी वरीय पदाधिकारियों को दी जाएगी। उक्त गांव के विकास के लिए विशेष ध्यान दिया जाएगा।

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