योग विश्व बंधुत्व और राष्ट्रीय एकता का सूत्रधार

जमुई। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर रविवार को केकेएम कॉलेज परिसर में योग का महत्व और उपादेयता विषय पर वर्चुअल परिचर्चा आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. गौरी शंकर पासवान ने की।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 06:04 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 06:04 PM (IST)
योग विश्व बंधुत्व और राष्ट्रीय एकता का सूत्रधार
योग विश्व बंधुत्व और राष्ट्रीय एकता का सूत्रधार

जमुई। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर रविवार को केकेएम कॉलेज परिसर में योग का महत्व और उपादेयता विषय पर वर्चुअल परिचर्चा आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. गौरी शंकर पासवान ने की।

मौके पर डॉ. प्रो. गौरी शंकर पासवान ने कहा कि भारत में योग की एक समृद्ध परंपरा रही है। यह परंपरा आज भी जीवंत है। वैसे तो योग का जन्मदाता शिव ही हैं। उन्हें ही आदियोगी एवं आदि योग गुरु कहते हैं। महर्षि पतंजलि वास्तव में विश्व के फादर ऑफ योग हैं।

योग विश्व बंधुत्व एवं राष्ट्रीय एकता का सूत्रधार बनता जा रहा है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में योग समृद्ध और विकसित होता जा रहा है। इसकी जीवंतता प्रासंगिकता और उपादेयता को कभी नकारा नहीं जा सकता है। आज योग भारतीय संस्कृति का वैश्विक प्रतिनिधित्व कर रहा है।

गणित के विभागाध्यक्ष डॉ. चंद्रमा सिंह ने कहा कि पतंजलि योग विज्ञान के जनक हैं। योग का इतिहास बहुत पुराना है। प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने प्रजा को सुखी होने के लिए योग करना सिखाया था। यही नहीं अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने भी योग साधना पद्धति को आगे बढ़ाते हुए साधना की थी। आज वर्तमान में योग की समृद्धि और विकास अपने उत्कर्ष पर है। यही कारण है कि वैश्विक संस्थान संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली ने 11 दिसंबर 2014 को विश्व योग दिवस मनाने की घोषणा की थी। मानव जीवन में योग की महत्वपूर्ण महता और उपादेयता से भला कोई कैसे इंकार कर सकता है।

एकलव्य महाविद्यालय के इग्नू कोऑर्डिनेटर डॉ. प्रो. निरंजन कुमार दुबे ने कहा कि योग अनुशासन है, जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है। वर्ष 2015 से योग दिवस की वैश्विक शुरुआत हुई, तभी से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का सिलसिला जारी है। उन्होंने कहा कि योग स्वास्थ्य और समृद्धि भी प्रदान कर रहा है। इसलिए इसे और अधिक समृद्ध तथा विकसित करने की आवश्यकता है।

केकेएम कॉलेज के राजनीतिक विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रो. मनोज कुमार ने कहा कि योग सार्वभौमिक शांति का आधार है योग विद्या को लेकर एक सकारात्मक विश्व दृष्टि समृद्ध और विकसित होती दिख रही है द्य आज संपूर्ण विश्व योग उन्मुख हो रहा है।

कार्यालय सहायक रवीश कुमार सिंह ने कहा कि सभ्यता के प्रारंभ से ही योग किसी न किसी रूप में किया जाता रहा है। आज पूरी दुनिया योग के महत्व को समझ रही है और इससे लाभ ले रही है। यही योग की समृद्धि तथा विकास की पहचान है। मौके पर प्रो. डीके गोयल, प्रो. सरदार राम, प्रो. सजिदा खातून, प्रो. राजेंद्र शाह, अधिवक्ता रामचंद्र रवि, प्रभात कुमार भगत, मनोज कुमार सिन्हा तथा शिक्षक मंटू पासवान, दिनेश मंडल, उत्तम कुमार भारतीय, चमक लाल पासवान, देवानंद कुमार आदि प्रबुद्धजनों ने योग की समृद्धि और विकास को वर्तमान समय की जरूरत बताया है।

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