राजनीतिक हलचल : जनता की चुप्पी से प्रत्याशियों की बढ़ी बेचैनी

जमुई। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रथम चरण के मतदान में शेष चार दिन बचे हैं यानी 28 अक्टूबर

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 05:47 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 05:47 PM (IST)
राजनीतिक हलचल : जनता की चुप्पी से प्रत्याशियों की बढ़ी बेचैनी
राजनीतिक हलचल : जनता की चुप्पी से प्रत्याशियों की बढ़ी बेचैनी

जमुई। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रथम चरण के मतदान में शेष चार दिन बचे हैं, यानी 28 अक्टूबर को मतदान होना है और प्रत्याशियों के भाग्य मतपेटी बन्द हो जाएंगे, लिहाजा सिकंदरा के मतदाताओं ने इस बार गजब कर दिया है। जनता अभी तक खामोशी की चादर लपेटे हुए है। कोई नहीं खुल रहा है कि वह किसके पक्ष में मतदान करेगा। मतदाता बस हर प्रत्याशी को चाहे दलीय या निर्दलीय सभी को आश्वासन की दो बूंद दे रहे हैं। मतदाताओं की खामोशी से प्रत्याशियों की उलझनें बढ़ी हुई हैं। वह कितने पानी में हैं, उन्हें समझ में नहीं आ रहा है। खासकर सिकंदरा के मतदाता विधानसभा चुनाव को लेकर खासे उतावले रहते थे। अमूमन चुनाव की स्थिति मतदान से पहले साफ हो जाती थी लेकिन इस बार ऐसा कुछ झलक देखने को नहीं मिल रहा है। कौन किसके पक्ष में है, बताना मुश्किल हो गया है। पिछले चुनाव की बात करें तो कई मतदाताओं ने खुलकर वोट किया था। इस बार पिछले चुनाव के अपेक्षा वोटरों की संख्या भी अधिक है। नतीजतन, इस बार मतदाता अभी तक चुप्पी साधे हैं। प्रत्याशी जिस भी वोटर के पास जा रहे हैं वह उन्हें वोट देने का वायदा कर रहे हैं। हालांकि, एक-दूसरे नेता जी को पता चल रहा है कि मतदाता सभी प्रत्याशियों से वायदा कर रहा है तो उनके होश उड़ रहे हैं। जिन पर राजनीति का भूत सवार है। ऐसे चंद लोगों को छोड़ दिया जाए तो सिकंदरा विधानसभा का कोई भी वोटर मतदान से पहले कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। सभी प्रत्याशी व उनके समर्थक अपनी बेचैनी कम करने के लिए वार्डों के हिसाब से गुणा-गणित कर अपने आपको जीत सेहरा सजाने में भिड़े हैं। इन तमाम अटकलों के बीच आखिर कौन होगा सिकंदरा का सिकंदर? जनता किसे पसंद करती है। इन सवालों का जवाब आगामी 10 नवंबर को ही मिल सकेगा।

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