मां पतसंडा के दर्शन पूजन के लिए उमड़े श्रद्धालु

जमुई। गिद्धौर के उलाय नदी तट अवस्थित चंदेल राजवंशियों द्वारा स्थापित गिद्धौर के ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर के प्रांगण में महाअष्टमी पर्व को लेकर हजारों श्रद्धालुओं का मां पतसंडा के दर्शन एवं आराधना को लेकर सुबह से ही तांता लगना शुरू हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 05:52 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 05:52 PM (IST)
मां पतसंडा के दर्शन पूजन के लिए उमड़े श्रद्धालु
मां पतसंडा के दर्शन पूजन के लिए उमड़े श्रद्धालु

जमुई। गिद्धौर के उलाय नदी तट अवस्थित चंदेल राजवंशियों द्वारा स्थापित गिद्धौर के ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर के प्रांगण में महाअष्टमी पर्व को लेकर हजारों श्रद्धालुओं का मां पतसंडा के दर्शन एवं आराधना को लेकर सुबह से ही तांता लगना शुरू हो गया है।

कोरोना संक्रमण काल को लेकर सरकार के दिशा-निर्देश पर इस बार शारदीय दुर्गा पूजा सह लक्ष्मी पूजा समिति द्वारा मेले का आयोजन नहीं किया गया है बावजूद मंदिर की ऐतिहासिकता व मां पतसंडा की अलौकिक शक्तियां श्रद्धालु भक्तों को खींच लाई। मंगलवार की देर रात देवघर से चंदेल राज रियासत के विद्वान पंडित महेश्वर चरण महाराज एवं पन्ना लाल मिश्र, पूजा संरक्षक अश्वनी सिंह चौहान एवं विकास रंजन केशरी सहित अन्य विद्वान पंडितों द्वारा मां पतसंडा की पूजा आराधना सप्तमी के दिन पूरे विधि-विधान व नियम निष्ठा के साथ कराया गया। पूजन के दौरान विद्वान पंडितों द्वारा पूजक का शुद्धिकरण कर पूजा के तंत्र विधान की कुंडलिनी पद्धति से कालरात्रि मां की आराधना करवाई गई एवं मां पतसंडा को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया। पंडित महेश्वर चरण जी महाराज एवं उनकी टीम ने महाष्टमी पर माता की पूजा संपन्न कराया। दुर्गा मंदिर में इलाके भर के हजारों श्रद्धालुओं ने मां महागौरी को फूल बेलपत्र नवैद्य एवं खोईंचा चढ़ाकर अपने लिए सुखमय एवं मंगलमय जीवन की कामना की। उलाय नदी तट के पावन स्थल पर अवस्थित गिद्धौर दुर्गा मंदिर में स्थापित मां पतसंडा की प्रतिमा का विहंगम दृश्य यहां दशहरा के अवसर पर देखने को मिलता है। गिद्धौर के ऐतिहासिक मेले में सदियों पुरानी परंपरा का बेमिसाल स्वरूप एवं विहंगम दृश्य दशमी पूजन तक देखने को मिलता है।

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