मां बासंती दुर्गा मंदिर में लगती है श्रद्धालुओं की भीड़, होती है मनोकामना पूर्ण

जमुई। मां वासंती दुर्गा मंदिर की प्रसिद्धि झाझा ही नहीं कई राज्यों में है। चैती नवरात्र प्रारंभ होते ही दूसरे राज्य में रह रहे भक्त खींचे चले आते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 06:37 PM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 06:37 PM (IST)
मां बासंती दुर्गा मंदिर में लगती है श्रद्धालुओं की भीड़, होती है मनोकामना पूर्ण
मां बासंती दुर्गा मंदिर में लगती है श्रद्धालुओं की भीड़, होती है मनोकामना पूर्ण

जमुई। मां वासंती दुर्गा मंदिर की प्रसिद्धि झाझा ही नहीं कई राज्यों में है। चैती नवरात्र प्रारंभ होते ही दूसरे राज्य में रह रहे भक्त खींचे चले आते हैं। माता के दरबार में पूरे साल भक्तों की भीड़ लगी रहती हैं। विगत दो साल से कोरोना के कारण चैती नवरात्र में मां दुर्गा का पूजा नहीं कर पा रही है।

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इतिहास

पुरानी बाजार में स्थित मां बासंती दुर्गा मंदिर लोगों के बीच मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी के रूप में जानी जाती हैं। वर्ष 1957 में कोलकोता के हाजरी बाबू को दुर्गा मां ने दर्शन देकर उलाई नदी के किनारे स्थापित करने का स्वप्न दिया। इस पर उन्होंने उलाई नदी के पास बंजर पड़ी जमीन के बगल में एक पिड बना मां वासंती दुर्गा की स्थापना की और पूजा अर्चना प्रारंभ कर दिया। बंगाली बाबू को पूजा अर्चना करते देख पुरानी बाजार के लोगों ने भी पूजा करना प्रारंभ कर दिया। ग्रामीणों की मदद से एक लकड़ी का टटिया से मां के पिड को घेरा गया। विगत 25 साल पूर्व आंधी में मंदिर गिर गया। चरघरा के बाबूटोला के लोगों ने जमीन देकर स्व. गौरी प्रसाद माथुरी, कामेश्वर सिंह, लक्ष्मण झा, स्व. हरि झा ने सहयोग राशि से भव्य मंदिर का निर्माण कराया। 1999 में ओंकारमल शर्मा के सानिध्य में शिब्लू माथुरी, बब्लू माथुरी, लक्ष्मण झा ने मां दुर्गा की संगमरमर की मूर्ति की स्थापित की।

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विशेषता

मां वासंती दुर्गा से जिस भी भक्त ने सच्चे मन से मन्नत मांगा उसकी मनोकामना पूरी हुई है। चैती नवरात्र में बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा से दर्जनों भक्त पहुंचते हैं। चकाई, सोनो, गिद्धौर एवं झाझा प्रखंड के लोगों के लिए एकमात्र यही मंदिर है जहां भव्य मेला आयोजन किया जाता है। अष्टमी के दिन मां दुर्गा की प्रतिमा भी स्थापित होती है। महिलाओं से लेकर कुमारी कन्याओं को विशेष रूप से इस मंदिर में जगह मिलती हैं। पूजा समिति के सदस्य एवं पंडित मंदिर की सफाई करते हैं।

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कैसे पहुंचे मंदिर

सोहजाना मोड़ से जो मुख्य सड़क मुख्य बाजार की ओर जाती है उसी रास्ते में गांधी चौक पड़ता है उसी जगह मां का भव्य गेट बना हुआ है उसी रास्ते से आगे आने पर मां का दरबार मिलेगा।

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कहते हैं पंडित

पंडित कुलदीप ने बताया कि नवरात्र के अलावा पूरे साल पूजा की जाती है। सभी भक्तों की कामना पूर्ण होती है। बहुत ही शक्तिशाली देवी के रूप में जाना जाता हैं।

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कहते है मंदिर के अध्यक्ष

शशिकांत झा ने बताया कि इस वर्ष भव्य रूप से मंदिर को सजाया जा रहा है। भक्तों को किसी प्रकार का कोई कष्ट नहीं पहुंचे उसके लिए हर पहलू पर विचार कर कार्य किया जा रहा है।

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