चंडी स्थान की मां दुर्गा करती हैं मनोकामना पूर्ण

जमुई। जमुई सिकंदरा मुख्य मार्ग पर बसा बरुअट्टा गांव प्रारंभ से ही धार्मिक एवं सांस्कृतिक आस्था का केंद्र रहा है। यहां स्थापित चंडी स्थान माता के भक्तों के लिए कई दशकों से मुख्य आस्था का केंद्र रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 06:26 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 06:26 PM (IST)
चंडी स्थान की मां दुर्गा करती हैं मनोकामना पूर्ण
चंडी स्थान की मां दुर्गा करती हैं मनोकामना पूर्ण

जमुई। जमुई सिकंदरा मुख्य मार्ग पर बसा बरुअट्टा गांव प्रारंभ से ही धार्मिक एवं सांस्कृतिक आस्था का केंद्र रहा है। यहां स्थापित चंडी स्थान माता के भक्तों के लिए कई दशकों से मुख्य आस्था का केंद्र रहा है। भक्तों का मानना है कि जो भी इस दरबार में आते हैं उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। नवरात्रि के अवसर पर आस-पास के ग्रामीणों के अलावा दूरदराज के इलाकों से लोग माता की आराधना को लेकर पहुंचते हैं एवं अपनी मन्नतें मांगते हैं। बरुअट्टा गांव स्थित चंडी स्थान का गर्भगृह के अंदर कई देवी देवताओं की दुर्लभ प्रतिमाएं उपलब्ध है।

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मंदिर का इतिहास

चंडी स्थान मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। ग्रामीणों का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण आज से करीब 100 वर्ष पूर्व तत्कालीन गिद्धौर महाराज द्वारा की गई थी। मंदिर का गर्भगृह आज की माता के भक्तों के लिए काफी अहम है। गर्भगृह के अंदर मां दुर्गा की कई दुर्लभ प्रतिमाएं स्थापित हैं जो आसपास के इलाके में अन्य मंदिरों से अलग पहचान दिलाती हैं।

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मंदिर की विशेषताएं

-मान्यता है कि यहां भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

-महाअष्टमी के दिन विशेष पूजा होती है।

-मंदिर के गर्भ गृह में वर्षों पुराने दुर्लभ देवी देवताओं की प्रतिमाएं है स्थापित।

- मनोकामना सिद्धि के रूप में प्रसिद्ध है यह मंदिर।

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फोटो 13 जमुई- 4

कहते हैं आचार्य

माता के दरबार से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। यह अलौकिक मंदिर है। गर्भ गृह में वर्षों पुरानी दुर्लभ एवं अलौकिक प्रतिमाएं है।

श्याम नंदन पांडे, आचार्य

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फोटो 13 जमुई- 52

चंडी स्थान भक्तों के बीच मनोकामना सिद्धि को लेकर खास अहमियत रखता है। सालों भर भक्तों का तांता लगा रहता है। नवरात्रि पर मन्नतें मांगने दूर-दूर से लोग आते हैं।

दिव्यांशु शांडिल्य, पुजारी

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