आज श्रद्धालु करेंगे स्कंदमाता की पूजा आराधना

जमुई। नवरात्र के पांचवें दिन बुधवार को जगत जननी जगदंबा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की आराधना की जा रही है। माता के जयकारों की गूंज चाहू और गूंज रही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 05:49 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 05:49 PM (IST)
आज श्रद्धालु करेंगे स्कंदमाता की पूजा आराधना
आज श्रद्धालु करेंगे स्कंदमाता की पूजा आराधना

जमुई। नवरात्र के पांचवें दिन बुधवार को जगत जननी जगदंबा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की आराधना की जा रही है। माता के जयकारों की गूंज चाहू और गूंज रही है। श्रद्धालुओं ने मां की आराधना कर सुख समृद्धि की कामना की।

प्रत्येक दिन की तरह सुबह से ही घरों व मंदिरों में चहल-पहल दिखने लगी। मंदिरों में बज रहे देवी गीत लोगों को आकर्षित कर रहे थे। नित्य की तरह मंगलवार को भी श्रद्धालुओं ने पूरी आस्था के साथ देवी मंदिरों व घरों में पूरे विधिविधान से माता रानी के चौथे स्वरूप कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक नवरात्र पर्व का उल्लास दिख रहा है। ऐसे में दिन-प्रतिदिन मंदिरों में पूजन-अर्चन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। कोरोना काल में शारीरिक दूरी का पालन करते हुए लोगों ने मंदिरों में पहुंचकर मां दुर्गा से कष्ट निवारण का आशीर्वाद मांगा। शाम होने के साथ ही महिला श्रद्धालुओं ने दुर्गा मंदिरों में जाकर दीप जलाकर माता के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं।

मां विध्यवासिनी ज्योतिष केंद्र के पंडित मनोहर आचार्य ने बताया कि काशी पंचांग एवं मिथिला पंचांग के अनुसार 24 अक्टूबर शनिवार को महाअष्टमी का व्रत एवं पूजन किया जाएगा। 25 अक्टूबर रविवार को महानवमी एवं 26 अक्टूबर सोमवार को विजयादशमी मनायी जाएगी। उन्होंने बताया कि नवरात्रि का शास्त्र वेद के अनुसार नौ सिद्धि होती है। इसलिए कहा गया है नवम सिद्धिदात्री दुर्गा नवमी की रात्रि में ही सिद्धि मिलती है। नवरात्रि के पांचवें दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है और इस दिन मां स्कंदमाता के इस भव्य स्वरूप की पूजन-आराधना की जाती है। इस दिन माता के भक्तों को अत्यंत पवित्र मन से देवी की पूजा-उपासना करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है और भक्तों को ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है। स्कंदमाता की आराधना करना भक्तों के लिए काफी प्रेरणादायी व लाभकारी माना जाता है। भगवती का नाम स्कंद है। भगवान गणेश मानस पुत्र हैं और भगवान कार्तिकेय गर्भ से उत्पन्न हुए हैं। तारकासुर को वरदान था कि वह शंकर जी के शुक्र से उत्पन्न पुत्र द्वारा ही मृत्यु को प्राप्त हो सकता है। इसी कारण देवी पार्वती का शंकर जी से मंगल परिणय हुआ। इसमें कार्तिकेय पैदा हुए और उन्होंने तारकासुर का वध किया। मां स्कंद माता के इस स्वरूप को जगत कल्याणी के रूप में भी जाना जाता है।

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