कुदरती किसानों ने मनाया बिहार पृथ्वी दिवस
जमुई। जीवित माटी किसान समिति और ग्रीनपीस इंडिया ने बिहार पृथ्वी दिवस को बड़े ही अनूठे ढंग से मनाया। इस साल पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है।
जमुई। जीवित माटी किसान समिति और ग्रीनपीस इंडिया ने बिहार पृथ्वी दिवस को बड़े ही अनूठे ढंग से मनाया। इस साल पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। जिसके कारण किसी जलसा-समारोह का आयोजन उचित नहीं था, लेकिन इस दिन के महत्व को भी भुलाया भी नहीं जा सकता था। लिहाजा प्रकृति के विभिन्न तत्वों को राखी बांध संरक्षण का संकल्प लिया। इस दिन का महत्त्व बताते हुए युवा महिला किसान नीलम कुमारी ने बताया कि हम कुदरती किसान पृथ्वी और इसपर रहने वाले सभी जीवों को अपना परिवार मानते हैं। हम यह जानते हैं कि हम तभी सुरक्षित रहेंगे जब हमारे ये सभी भाई-बहन सुरक्षित रहेंगे। हम यह भी समझते हैं कि हमारा जीवन, खेती-किसानी और भविष्य इन सबके साथ जुड़ा हुआ है। इसलिए हम सभी कुदरती खेती करने वाले महिला और पुरुष किसान इस दिन को रक्षा बंधन के रूप में मना रहे हैं। आज हम कुएं, तालाब, नदी-नाले, पेड़-पौधों, मिट्टी, बीज, गोबर, गौमूत्र, गाय-बैल, बकरी, पंछी, कीट-पतंगों, घास-पात, हवा, सूरज, केंचुओं, बादल, खेती के पारंपरिक औ•ार को राखी बांधकर और उनकी आरती कर के उनके लिए अपना प्रेम और सम्मान •ाहिर कर रहे हैं। बिहार के पहले जैविक ग्राम केड़िया के बु•ाुर्ग किसान जानकी तांती ने बताया पृथ्वी दिवस के अवसर पर हम किसान रक्षा बंधन के •ारिए अपना यह वचन दुहरा रहे हैं कि अपने निजी फायदे के लिए जानबूझ कर उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। आज हम प्रतिज्ञा करते हैं कि अपनी खेती में हम किसी भी ऐसी ची•ा का प्रयोग नहीं करेंगे, जिससे हमारी पृथ्वी के किसी भी सदस्य को कोई हानि पहुंचे। उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए तरी दाबिल, जमुई के कुदरती किसान विजय कुमार बताते हैं कि हम प्रकृति के एक अंग हैं। प्रकृति को नुकसान पहुंचाकर हम सुखी और सम्पन्न नहीं हो सकते।