नहीं जागे तो मिट जाएगी सिमुलतला से स्वामी विवेकानंद की यादे

जमुई। स्वामी विवेकानंद के सिमुलतला प्रवास का एहसास सिमुलतला वासियों को गौरवान्वित कर देता है। पीढ़ी

By JagranEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 06:14 PM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 06:14 PM (IST)
नहीं जागे तो मिट जाएगी सिमुलतला से स्वामी विवेकानंद की यादे
नहीं जागे तो मिट जाएगी सिमुलतला से स्वामी विवेकानंद की यादे

जमुई। स्वामी विवेकानंद के सिमुलतला प्रवास का एहसास सिमुलतला वासियों को गौरवान्वित कर देता है। पीढ़ी दर पीढ़ी से इसकी कहानी यहां के बच्चे बुजुर्गों से सुनते आ रहे हैं। स्वास्थो भवन दिखते ही आंखें ठहर जाती है। गौरव की आंतरिक अनुभूति होती है। सिमुलतला की वादियों पर गर्व हो उठता है। बताया जाता है एक दफा नहीं बल्कि दो-दो दफा स्वामी विवेकानंद सिमुलतला आए थे।

स्वामी जी सबसे पहले 1887 में सिमुलतला स्थित स्वास्थो कोठी में स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया था। वही कोठी आवासीय विद्यालय का भवन निर्माण होने के कारण जमींदोज होने की कगार पर है। दूसरी बार 1889 में स्वास्थ्य लाभ के दौरान सुरेंद्रनाथ बनर्जी की कोठी में प्रवास किए थे। स्वामी जी यादें कहानी के माध्यम से लोगों से जुड़ी है।

समाजसेवी व प्रबुद्ध लोगों ने इस कोठी को स्वामी जी के स्मारक के रूप में विकसित करने की वकालत की। लोगों का मानना है कि इस ऐतिहासिक कोठी को स्वामी के स्मारक के रूप में विकसित करने से विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों को प्रेरणा मिलेगी। साथ ही सिमुलतला आने वाले पर्यटक भी उनकी यादों से जुड़ पाएंगे।

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यह हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है कि स्वामी जी जैसे महापुरुष सिमुलतला आए थे। स्वास्थो कोठी को स्मारक बनाकर स्वामी जी की यादों को संयोजना चाहिए। इससे विद्यार्थियों को प्रेरणा मिलेगी ही साथ ही यहां आने वाला पर्यटक स्मारक की और आकर्षित होंगे।

डा. यूपी गुप्ता, निदेशक प्रमुख, स्वामी विवेकानंद पारा मेडिकल

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स्वास्थो कोठी इस क्षेत्र के लोगों के लिए स्वाभिमान से कम नहीं है। स्वामी जी का स्मारक बने यही सभी चाहते हैं। स्वामी जी की प्रेरणा से पूरा विश्व एक सूत्र में बंध गया। सरकार को इस कोठी को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में घोषित करना चाहिए।

श्रीकांत यादव, पूर्व पार्षद सह झाझा व्यापार मंडल अध्यक्ष

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स्वास्थो कोठी सिमुलतला की धरोहर है। विद्यालय निर्माण विकास का कार्य है। वह जारी रहे, लेकिन स्वामी जी से जुड़ी स्वास्थो कोठी को तोड़ा नहीं जाए। इसे स्मारक के रूप में विकसित करने से सिमुलतला में स्वामी जी से जुड़ी चीजें सजीव हो जाएंगी।

कुमार विमलेश, संचालक, ग्राम भारती सर्वोदय आश्रम, सिमुलतला

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यह गर्व की बात है कि स्वामी जी से सिमुलतला का इतिहास जुड़ा है। स्वास्थो कोठी को सरकार स्मारक घोषित कर दे, ताकि स्वामी जी का बिहार से कितना गहरा संपर्क था उसे लोग जान सकें।

आलोक राज, संचालक, मानव विकास सेवा संस्थान

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