बदल गया चुनाव का दृश्य, नहीं बदली गांवों की तस्वीर
पंचायत चुनाव की सफर की तस्वीर बदल गई है। प्रथम चरण में सिकंदरा प्रखंड में हुए मतदान के बाद मतगणना को लेकर प्रत्याशियों के लक्जरी वाहनों का जमावड़ा कुछ यहीं दर्शा रहा था।
जमुई। पंचायत चुनाव की सफर की तस्वीर बदल गई है। प्रथम चरण में सिकंदरा प्रखंड में हुए मतदान के बाद मतगणना को लेकर प्रत्याशियों के लक्जरी वाहनों का जमावड़ा कुछ यहीं दर्शा रहा था। बता रहा था कि गांवों ने बैल-घोड़ागाड़ी से लक्जरी वाहनों का सफर तय कर लिया है। हालांकि इसका यह कतई मतलब नहीं कि गांवों के आर्थिक हालात में बहुत अंतर आया है। आज भी गांव गरीबी का दंश झेल रहा है। आज भी दो वक्त की रोटी के लिए लोग जीवन से जीवन के लिए जंग कर रहे हैं। उनकी दिनचर्या पेट की आग बुझाने की कवायद से शुरू और समाप्त होती है। यह इतर बात है कि गरीबी के खिलाफ और गरीबों के कई योद्धाओं के हालात बदल गए। बहरहाल, रविवार को शहर स्थित केकेएम कालेज मतगणना स्थल पर मतगणना चल रही थी तो प्रत्याशी सहित उनके समर्थकों की गाड़ियों से जमुई बस डिपो, सहकारिता कार्यालय परिसर पटा था। जगह कम पड़ने के कारण राजद कार्यालय और डीडीसी आवास के समीप भी वाहनें खड़ी थीं। हर चौक-चौराहे पर भीड़ व टोलियां, खाली जगहों पर वाहनों की कतार लगी थी। हर तरफ जोश और उमंग के साथ हाथ में अबीर-गुलाल और फूल की माला लिए लोग इंतजार कर रहे थे। कई उत्साहित थे तो कुछ बस पेट की खातिर उत्साह में शामिल दिखे। सहकारिता कार्यालय परिसर के समीप दो व्यक्ति बातें कर रहे थे। अरे, मिलना तो किसी से कुछ नहीं है। आज का जुगाड़ तो हो गया। कल से फिर वहीं घर के चूल्हा के लिए जीतोड़ मेहनत। साधारण व मामूली से लगने वाले इस वाक्य ने तस्वीर साफ कर दी। गांव के साधारण लोगों की टूटती उम्मीद, बिखरे सम्मान दर्शा दी। तभी कुछ लोगों ने इन दोनों को जोर से पुकारा। दोनों झट से उठे, मुंह पर बड़ा मुस्कान आया और जिदाबाद का नारा लगाते उनकी ओर तेजी से चल पड़े फिर भीड़ में गुम हो गए।